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राजस्थान मे कांग्रेस सरकार के रिपीट होने की सम्भावना धीरे धीरे बनने लगी।


                ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

              हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली दो सरकारें पहले रिपीट नही हो पाने के बावजूद अब की दफा तीसरी सरकार भाजपा का कमजोर प्रदेश नेतृत्व के अलावा गहलोत सरकार की जनहितकारी अनेकानेक योजनाओं के लागू होने के प्रभाव को देखते हुये अबके सरकार रिपीट होने की सम्भावावनाए धीरे धीरे जोर पकड़ने लगी है। अगर गहलोत व पायलट मतदान के समय एक दुसरे के समर्थक उम्मीदवारों को ईमानदारी से जीतवाने मे मदद व मिलकर चुनाव लड़े तो कांग्रेस फिर सत्ता पर काबिज आसानी से हो सकती है।
                     2018 के आम विधानसभा चुनाव मे 100 कांग्रेस व एक सीट पर चुनाव स्थगित होकर फिर होने पर कांग्रेस की जीत के बाद 101 कांग्रेस की सीट आई थी। कुछ समय बाद बसपा के छ विधायकों का भी कांग्रेस मे विलय हो गया। गहलोत सरकार को निर्दलीय व माकपा-बीटीपी जैसे दलो का समर्थन भी मिलता रहा है।
             अगले दो-तीन महिने मे होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर कांग्रेस भाजपा से काफी आगे चल रही है। विभिन्न कमेटियों के गठन के बाद उनकी मीटिंग लगातार होने लगी है। दिल्ली हाईकमान भी राजस्थान को लेकर काफी सिरियस नजर आ रहा है। राहुल गांधी के दौरे भी होने लगे है। भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री दौरे कर चुके है। प्रधानमंत्री की सभा मे संतोषजनक भीड़ तो इकठ्ठा होती है लेकिन रिकॉर्ड तोड़ पहले की तरह अब भीड़ इकट्ठा नही हो पा रही है।
                  कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल नजर नही आता है। पर स्थानीय विधायकों को क्षेत्र की मिली बादशाहत के कारण उनका विरोध जरूर साफ नजर आ रहा है। ऐसे विधायकों की टिकट काटने का साहस अगर कांग्रेस पार्टी कर पाती है तो सत्ता वापसी मे यह कदम सहायक हो सकता है। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जौशी व विपक्षी नेता राठौड़ प्रदेश स्तरीय नेता होने की बजाय क्षेत्रीय नेता का ही अभी तक कद बना पाये है। वर्तमान मे प्रदेश मे भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री राजे के कद का अन्य कोई नेता मोजूद नही है। राजे को अगुवा किये बीना भाजपा मुकाबले मे आना मुश्किल है।
                      कुल मिलाकर यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ईमानदारी से एक साथ मिलकर कांग्रेस को फिर सत्ता मे लाने मे लग जायेंगे तो सरकार के रिपीट होने के चांसेस काफी हाई बताते है। वही भाजपा को मुकाबले मे आने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा सामने होना आवश्यक माना जा रहा है।






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