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गदर वाजपेयी सरकार नहीं बचा पायी थी, गदर 2 भी मोदी को नहीं बचा पाएगी : शाहनवाज़ आलम

 


सेना का राजनीतिकरण लोकतंत्र के लिए खतरनाक है

लखनऊ, 27 अगस्त 2023। भारतीय सेना की पहचान उसकी धर्मनिरपेक्षता और राजनीतिक तटस्थता रही है। लेकिन मोदी जी के पीएम बनने के बाद से सेना के इन मूल्यों से समझौता किया जा रहा है। यहाँ तक कि सरकार समर्थित मीडिया सर्जिकल स्ट्राइक की फ़र्ज़ी खबरें तक चला दे रही है। जिस पर सरकार कोई कार्यवाई तक नहीं करती। ऐसी स्थिति बनना देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है।

ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 111 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करने की नीयत से उसे देश विरोधी आरएसएस के विचार में ढालने की कोशिश कर रही है। पहले सेना राजनीतिक और नीतिगत मुद्दों पर बयानबाजी नहीं करती थी। राजनीतिक नेतृत्व के साथ भी वह कम दिखती थी। लेकिन अब सेना प्रमुख तक मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के साथ राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखने लगे हैं। यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अपने चुनावी भाषणों तक में भारतीय सेना को 'मोदी की सेना' कह कर संबोधित करते हैं लेकिन सेना  की तरफ से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई जाती। सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलनों के समय सेना के अधिकारियों ने इस पर टिप्पणियां कीं।  वहीं दिल्ली के पश्चिमी नौसेना कमान की मेस में मुगल सम्राट अकबर के नाम पर स्थित एक सुईट का नाम बदल दिया गया। यह सब सेना के स्थापित मूल्यों को कमज़ोर करने के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गदर 2 फिल्म में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच युद्ध के दृश्यों के बैकग्राउंड में धार्मिक मंत्रों का उच्चारण सेना की सेकुलर छवि से समझौता करना है। इसपर फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड के साथ ही सेना को भी सवाल उठाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे पहले भी भारत पाक युद्धों पर फ़िल्में बनी हैं लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं होता था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार को अपने विकास कार्यों के बजाए सनी देयोल पर ज़्यादा भरोसा है। इसीलिए संसद के अंदर भाजपा सांसद सनी देयोल की गदर 2 जैसी बेसिर पैर की फिल्म दिखाई जा रही है। लेकिन वो यह भूल रहे हैं कि 2001 में आई गदर भी अटल बिहारी बाजपेयी सरकार को नहीं बचा पायी थी।


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