आगरा, 18 जून 2023। बाबा साहब अंबेडकर ने 2 दिसंबर 1948 को संविधान सभा के भाषण में कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के बारे में सोचने वाली कोई भी सरकार पागल सरकार ही कही जाएगी। इसलिए अगर मोदी सरकार ऐसा कुछ सोच भी रही है तो उसे एक पागल और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों की विरोधी सरकार ही माना जाएगा। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 101वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 21वें लॉ कमीशन ने भी बाबा साहेब अंबेडकर के इस विचार से सहमति जताते हुए 31 अगस्त 2018 को 'परिवार कानून सुधार पर परामर्श पत्र' के पैरा 1•15 में कहा था- "जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए तब इस प्रक्रिया में विशेष समूहों या समाज के कमज़ोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। समान नागरिक संहिता न तो इस स्टेज पर ज़रूरी है और न ही वांछित। अधिकांश देश अब अनेकताओ की मान्यता की ओर बढ़ रहे हैं और इसका अस्तित्व भेदभाव नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।"
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर 22 वां लॉ कमीशन 21 वें लॉ कमीशन के विपरीत सोच रखता है तो इसे लॉ कमीशन का सरकार के विभाजनकारी
एजेंडे के आगे बिछ जाना ही कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि लॉ कमीशन के प्रमुख ऋतु राज अवस्थी कर्नाटक उच्च न्यायालय के वही मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने हिजाब के खिलाफ़ फैसला दिया था। वहीं लॉ कमीशन के दूसरे जज के टी संकरन केरल हाई कोर्ट के वही जज हैं जिन्होंने संघ और भाजपा की अफवाह फैक्टरी में निर्मित 'लव जेहाद' शब्द को क़ानूनी मान्यता देने की नीयत से अपने एक फैसले में 'लव जिहाद' की घटनाओं की जाँच का आदेश दिया था।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा के पास अब आम लोग नहीं बचे हैं। वह सिर्फ़ मीडिया के एक हिस्से के भरोसे ही है। लेकिन लोग अब इस झांसे में भी नहीं आने वाले हैं और 2024 में जनता ने राहुल गाँधी को प्रधानमन्त्री बनाने का मन बना लिया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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