फौजी अबरार खान वर्डकप मे भारत का नेतृत्व करेगा।


      ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर। राजस्थान।

          राज्य की डीडवाना तहसील के कायमखानी मुस्लिम बहुल्य गावं बेरी जतनपुरा निवासी व 61-केवेलरी के जवान अबरार खान घुड़सवारी में देश का नेतृत्व करते हुये दक्षिण अफ्रीका में आयोजित होने वाले विश्व कप में  भाग लेंगे। जो आगामी अगस्त महीने में साउथ अफ्रीका में आयोजित हो रहा है।
           छोटी बेरी निवासी मुशताक खा के बेटे अबरार खान/भोमिया का सिलेक्शन(चयन) घुड़सवारी के विश्व कप में भाग लेने के लिए हुआ है । इस खबर के बाद उशके गाव मे खुशी की लहर व्याप्त है। और अबरार खान के परिवार को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। अबरार खान एक ऐसा कामयाब घुड़सवार है जो 61 केवलरी में अपनी अलग ही पहचान रखते हैं और 5 घोड़ों की सवारी एक साथ करते हैं, जिसमें पांचों घोड़े एक साथ दौड़ते रहते हैं और अबरार खान इन 5 घोड़ों पर खड़े होकर करतब दिखाते हैं । साथ ही 61केवलरी के किसी भी कार्यक्रम में वह हैरतअंगेज कारनामे करते हुए देखे जा सकते हैं। घुड़सवारी में महारत हासिल अबरार खान सैकड़ों छोटे-मोटे मेडल अब तक जीत चुके हैं, एक सरल और सौम्य स्वभाव के युवा हैं जो गांव में सभी से मिलजुल कर एक सामान्य से जवान की तरह व्यवहार करते हैं । लेकिन इन में छिपी प्रतिभा और कला को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि यह पिछले 20 साल से भारतीय सेना की टुकड़ी 61 केवल्ररी में घुड़सवारी करते आए हैं और इन्हें कई बार लोगों ने करतब करते हुए देखा है और 61केवलरी की तरफ से आयोजित कार्यक्रम इन्होंने नेतृत्व भी किया है हाईफा डे पर भी अबरार खान को कई बार इनाम मिल चुके हैं, 15 अगस्त और 26 जनवरी पर दिल्ली में आयोजित होने वाली परेड में भी अबरार खान 61 केवलरी की टुकड़ी का नेतृत्व कर चुके हैं, अबरार खान घुड़सवारी में अब तक सैकड़ों मेडल जीत चुके हैं लेकिन यह सफलता हासिल करने वाले जिले के ही नहीं आसपास के जिलों के पहले ऐसे घुड़सवार जो देश का नेतृत्व विश्वकप में करने वाले हैं इससे पहले छोटी बेरी के ही कप्तान हुसैन खान ने 1980 में मास्को ओलंपिक में घुड़सवारी में देश का नेतृत्व किया था , अबरार खान के पिता मुस्ताक खान भी इसी 61 केवलरी के जवान रहे हैं और अबरार खान के बड़े भाई अखलाक खान भी 61 केवलरी में ही फिलहाल नौकरी कर रहे हैं लेकिन अबरार खान में एक अलग ही जज्बा अलग ही कला और साहस के साथ योग्यता है जिसके बलबूते वे केवल्री में अपनी अमिट छाप छोड़ देते हैं और घुड़सवारी में फिलहाल इनसे बड़ा कोई कलाबाज या दक्ष घुड़सवार नजर नहीं आता है आने वाले विश्वकप में यह मेडल लेकर लौटे एसी दुआएं सभी ग्रामीण और इनके परिवार जन कर रहे हैं और अबरार को देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ।





 

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