हाफिज-ए-कुरान राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारी सैय्यद मुकर्रम शाह तारावीह की नमाज कुरान ए पाक की तिलावत से पढाते है।

 
                   ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

                   बचपन के बजाय एक उम्र ढलने के साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा जैसी व्यस्ततम सर्विस के बावजूद उपखंड अधिकारी के पद पर रहते हुये पवित्र किताब कुरान ए पाक को कंठस्थ याद करने वाले वर्तमान मे राजस्थान मदरसा बोर्ड के सचिव पद पर पदस्थापित सैय्यद मुकर्रम शाह ने इस साल भी रमजान माह मे तारावीह की विशेष नमाज कुरान ए पाक की तिलावत से करवाकर लोगो को अलग राह दिखाते हुये साबित कर दिया है कि पढाई के लिये ढलती उम्र व व्यस्ततमता कभी रोड़ा नही बन सकती।
                   मूलरूप से टोंक निवासी वर्तमान मे अब जयपुर मे निवास करने वाले राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सैय्यद मुकर्रम शाह ने कुरान ए पाक को कंठस्थ याद करने का इरादा तब किया जब वो कुचामन- मकराना मे उपखण्ड अधिकारी SDO के पद पर पदस्थापित थे। वो यही एसडीओ पद पर पदस्थापित रहते हुये हाफिज ए कुरान बने।
               एक समय मे सैय्यद मुकर्रम शाह गर्मियों के समय रमजान माह मे सीकर मे डीआईजी स्टाम्प पद पर पदस्थापित थे। तब मै देखा करता था कि रोजा रखकर सेहरी के बाद जयपुर से चलकर सीकर आकर पूरे समय ड्यूटी करके कर्तव्य पालन के साथ शामको जयपुर जाकर तारावीह की नमाज अदा करवाते थे।
           जानकारी अनुसार सैयद मुकर्रम शाह पीछले छ साल से जयपुर मे कुरान ए पाक की तिलावत के साथ लगातार तारावीह की नमाज अदा करवा रहे है। जिनका कल कुरान ए पाक मुकम्मल हो गया है। ऐसे अधिकारी बहुत कम पाये जाते है जो ढलती उम्र व अति व्यस्ततम सरकारी सेवा के बावजूद मिलने वाले अतिरिक्त समय का सदुपयोग करते हुये कुरान ए पाक कंठस्थ याद कर पाते है। और कंठस्थ याद करने के बावजूद वो तारावीह मे पढाते है।


 

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