शेखावाटी का मुस्लिम समुदाय किधर जा रहा है -----


              ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।

              हालांकि ऐसे हालात मुस्लिम समुदाय के भारत भर मे हो सकते है लेकिन सीकर-चूरु व झूंझुनू जिलो के सामुहिक क्षेत्र शेखावाटी जनपद मे शादी-मोत मरी व अन्य कुछ अवसरों के रिवाजो के कार्यक्रमो मे मुस्लिम समुदाय मे अनेक जगह अजीब हालात देखने को मिलने के बाद लगा कि यही शिद्दत अगर ऐजुकेशन को लेकर होती तो हालात आज काफी बदले बदले नजर आते।
                  

 समुदाय मे शादी मे निकाह को छोड़कर बाकी अनेक सामाजिक रिवाजो पर फिजूल खर्ची जमकर की जा रही है। पीछले महिने देखने मे आया कि एक गावं मे अचानक बने एक सेठ ने अपनी लड़कियों की शादी आज के कथित चलन अनुसार बडे धूमधाम से की। शादी के लिये बनाये पंडाल (टेंट) का खर्चा नो लाख से अधिक का बताते। इसके अलावा विशाल सामुहिक भोज व अन्य खर्चे सुनकर हतप्रभ रह जायेगे। इसी शादी मे आये दुल्हे ऐजुकेशन के नाम पर काफी कमजोर बताते है। यही पैसा उन बेटियों व होने वाले दामादो को आला तालीम दिलवाने मे खर्च होता तो नस्लों तक बदलाव देखने को मिलता। शेखावाटी जनपद के ग्रामीण परिवेश मे रहने वाले मुस्लिम मे शादी के पहले लड़की पक्ष की तरफ से लड़का पक्ष के यहां शादी की तारीख व समय की तफ्सील भेजने के लिये लगन (गांठ) की रस्म होती है। पहले लगन लेकर बिरादरी वाईज होने वाला नाई लेकर जाता था। इस अवसर पर लेनदेन बढा तो फिर जवाई-बहनोई लगन लेकर जाने लगे। अब तो महिलाओं को सम्मान भी इस अवसर पर मिलने लगा है। पिछले दिनो पुरषों के बीना केवल महिलाओं द्वारा लगन ले जाने को भी देखने को मिला।
                

सीकर शहर मे कुछ मुस्लिम मोहल्ले मे लोगो ने शादी मे लड़की के घर बारात का खाना बंद किया, ताकि फिजुलखर्ची रुक पाये। लेकिन शादी के पहली रात (रातीजगा) के दिन कंगना के नाम पर लड़की पक्ष बडा खाना करने लगे है। इसके अलावा इन दिनो एक नया रिवाज ओर चल पड़ा है जिसमे किसी के घर मौत होने पर तीन दिन का शोक रखते है। उस तीन दिन शौक मे मृतक के घर खाना ना बनकर उनके घर के बेटो के ससूराल पक्ष द्वारा नम्बर वाईज खाना हर पहर का आने का चलन पड़ गया है। इसके साथ ही कुछ जगह तो कफन-दफन का खर्च भी मृतक के बेटे के ससूराल पक्ष द्वारा उठाने का रिवाज भी देखने को मिला है।
                

कुल मिलाकर यह है कि यह सच है कि लड़को के मुकाबले शेखावाटी के मुस्लिम समुदाय मे खासतौर पर गलर्स ऐजुकेशन तेजी से बढ रहा है। कुछ परिवार किसी तरह की फिजूलखर्ची से बचते हुये अपना धन बच्चों को आला तालीम दिलवाने मे खर्च करके बदलाव लाने की कोशिश भी कर रहे है। लेकिन बहुतायत मे विभिन्न तरह के नये नये रिवाज बनाकर एवं शादी मे हजारों लोगो का भोज का इंतजाम , आतिशबाजी, डीजे व विभिन्न तरह की फोटोग्राफी-वीडियो रिकार्डिंग-डायरेक्ट लाईव करने पर फिजूलखर्ची का रिकॉर्ड तोड़ रहे है। इस तरह की शादियों मे तथाकथित धार्मिक विद्वानों की भी बडी तादाद शामिल होती है। शादियों मे अनेक जगह लड़की पक्ष द्वारा पांच-दस हजार लोगो के लिये बेहतरीन पकवानों का खाने का इंतजाम व कभी कभी कुछ लोग अपनी बेटियों की विदाई हेलीकॉप्टर से भी करते नजर आये है।

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