एआईएमआईएम अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन औवेसी के शेखावाटी दौरे से राजनीतिक हलको मे हलचल बढीं।


     राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा का चुनावी क्षेत्र लक्ष्मनगढ दौरे का मुख्य केंद्र रहा।
   आम विधानसभा चुनाव मे अभी एक साल का समय रह गया है। एआईएमआईएम प्रदेश की पचास सीटो पर लड़ने का दावा कर रही हैः

                ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।

                   राजस्थान के चुनावी इतिहास मे अबतक केवल मात्र एक मुस्लिम केप्टेन अय्यूब खान के दो दफा लोकसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाले शेखावाटी जनपद मे एआईएमआईएम मुखिया बेरिस्टर असदुद्दीन औवेसी के प्रदेश के पहले राजनीतिक दौरे को लेकर राजनीतिक हलके मे नई चर्चा को जन्म देकर खासतौर पर कांग्रेस खेमे मे बेचैनी पैदा करदी है। शेखावाटी जनपद का मतदाता राजनीतिक तौर पर पलटीमार व गीवन टेक मतदाता के तौर पर पहचाना जाता है।
                 औवेसी द्वारा प्रदेश के अपने पहले राजनीतिक दौरे के लिये शेखावाटी जनपद को ही चुनने के प्रमुख कारण बताये जाते है। जिनमे मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के नाते यहां का मुस्लिम मतदाता सभी दलो के पक्ष मे मतदान करता रहा है। जनपद से  मुस्लिम स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, जनतादल- कांग्रेस व लगते डीडवाना से भाजपा के निशान पर विधायक बनते रहे है। वर्तमान विधानसभा मे शेखावाटी के कुल 21- विधायकों मे से भाजपा के राजेन्द्र राठौड़, अभिनेष महर्षि व सुभाष पूनिया को छोड़कर बाकी 18-विधायक कांग्रेस सरकार के साथ है। कांग्रेस सरकार से समुदाय की नाराजगी व मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा लगातार उपेक्षा करने के लिहाजा से एआईएमआईएम के लिये  राजनीतिक आधार के लिए यहां की जमीन उपजाऊ साबित हो सकती है।
            जाट बेल्ट के तौर पर जाने वाले शेखावाटी जनपद मे मुस्लिम के साथ साथ अनुसूचित जाति मे मेघवाल बिरादरी ही करीब करीब है। जिनको अपने अपने वर्ग मे राजनीतिक तौर पर जागरूक व पलटवार करने वाले मतदाताओं के तौर पर जाना जाता है। मुस्लिम-जाट व मेघवाल मतदाता राजनीतिक तौर पर एक दुसरे के काफी करीब रहते आये है।
                  सांसद औवैसी ने अपने दो दिन के दौरे की शूरुआत जयपुर मे कांग्रेस विधायक आमीन कागजी के क्षेत्र के जालूपुरा व भट्टा बस्ती इलाके मे जनसम्पर्क करके की। जहां खासतौर पर मुस्लिम युवाओं की भारी भीड़ व छतो पर जमा महिलाओं द्वारा फूल बरसाने से माहोल बदला बदला नजर आया। जयपुर के बाद औवेसी सीकर की एतिहासिक जामा मस्जिद मे अशर की नमाज अदा की। औवैसी के सीकर पहुंचने की खबर से मस्जिद व उसके बाहरी हिस्से सहित आसपास के क्षेत्र मे भारी भीड़ जमा होने पर पुलिस प्रशासन को अनेक थानो से जाब्ता बूलाकर उन्हें लक्ष्मनगढ के लिये रवाना करना पड़ा। लक्ष्मनगढ के बाद औवैसी ने फतेहपुर शहर मे विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुये भाजपा-कांग्रेस पर तीखे प्रहार किये। जाट-राजपूत व गूर्जर बिरादरी की सूझबूझ व उनकी राजनीतिक सफलता का आंकड़ो के साथ बताते हुये अल्पसंख्यक मतदाताओं को उनकी तरह ताकत बनने का ऐहलान किया। फतेहपुर के बाद लक्ष्मनगढ विधानसभा के खीरवा व खींवासर मे सभाओ को सम्बोधित किया। देर रात नवलगढ़ शहर मे बडी सभा को सम्बोधित करते हुये अपने समर्थकों को एक ताकत बनकर उभरने को कहा। देश मे सबसे अधिक फौजी देने वाले शेखावाटी जनपद की सभाओं मे भाजपा सरकार की अग्निवीर पोलिसी पर भी जमकर प्रहार किये।
                 औवेसी शेखावाटी के दौरे के दूसरे दिन नवलगढ़ से चलकर फिर लक्ष्मनगढ विधानसभा के जाजोद, मंगलूणा सहित अनेक गावो मे जनसम्पर्क व सभाओ को सम्बोधित करते हुये नागोर जिले के लाडनू कस्बे मे विशाल जनसभा को सम्बोधित किया।
                    औवैसी के शेखावाटी दौरे मे जनसम्पर्क के समय उमड़े जनसैलाब व सभाओ मे अनुमान से अधिक भीड़ जमा होने से उनके प्रति एक विशेष आकर्षण होना माना जा रहा है। उनकी जौशीली व तथ्यों पर आधारित तकरीर से काफी लोग संतुष्ट व भावूक होते देखे गये। खासतौर पर युवाओं मे उनके प्रति दीवानगी नजर आई। दूसरी तरफ उनके दौरे के बाद घबराहट मे कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिम समुदाय मे मोजूद अपने समर्थकों को सक्रिय कर दिया है कि वो औवैसी को भाजपा की बी टीम व कांग्रेस को हराने की चेष्टा करने वाला बताने लगे है।   वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार एआईएमआईएम अपने दम पर जनपद की कोई सीट निकालने की स्थिति मे नहीं है।लेकिन उनके उम्मीदवार चुनाव लड़ते है तो अच्छे खासे वोट जरुर लेजा सकते है। अगर एआईएमआईएम का बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सहित कुछ अन्य दलो से समझोता हो जाता है तो कुछ सकारात्मक परिणाम आ सकते है।
          राजनीति के एक्सपर्ट बताते है कि खासतौर पर मुस्लिम समुदाय मे लीडरशिप को लेकर वेक्यूम चल रहा है। समुदाय को लगता है कि उनके जनप्रतिनिधि राजनीतिक दलो के होकर रह जाते है लेकिन वो उनकी बात व समस्या नही उठा पाते है। वो समुदाय के नेता ना होकर व राजनैतिक दलो की कठपुतली ही होते है। लीडरशिप के.वेक्यूम के चलते हिंदी भाषी क्षेत्र के मुस्लिम भी दक्षिण के रहने वाले औवेसी को अपना नेता के तौर पर देखने लगे है। वो मानने लगे है कि औवेसी ही उनकी समस्याओं को उठाकर उनकी आवाज को ताकत दे सकता हैः वो औवेसी को भविष्य का खैरख्वाह मानने लगे है।
                         कुल मिलाकर यह है कि एआईएमआईएम मुखिया बेरिस्टर असदुद्दीन औवेसी के राजस्थान के पहले दौरे से शेखावाटी जनपद मे उनके समर्थकों को एक विकल्प नजर आने से साथ उनके प्रति समर्थकों मे विशेष आकर्षण देखा जा रहा है। औवेसी के इस दौरे को राजनीतिक हलको मे सफल व खासतौर पर कांग्रेस के लिये खतरे की घंटी बजना भी बताया जा रहा है। दौरे के बाद राजनीतिक फिजा बदली बदली नजर आने लगी है।




 

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