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जगदीप धनकड़ के उपराष्ट्रपति बनने से भाजपा शेखावाटी मे कांग्रेस का दबदबा कमजोर कर पायेगी।

 





  जनपद मे कांग्रेस के महरिया-ओला परिवार का दमखम भाजपा बिखेर पायेगी!

               ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

            राजस्थान के सीकर-चूरु व झूंझुनू जिलो को मिलाकर बनने वाले जाट बहुलता शेखावाटी जनपद से तालूक रखने वाले जगदीप धनकड़ को भाजपा उपराष्ट्रपति बनाकर कांग्रेस व कांग्रेस मे मोजूद महरिया व ओला परिवार का दबदबा कितना कमजोर कर पायेगी। यह आगामी 2023 के होने आम विधानसभा चुनाव परिणाम के समय पता चलेगा। लेकिन धनकड़ के उपराष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस खेमे मे खलबली जरुर मचना देखा जा रहा है।
               1989 मे जनता दल की टिकट पर झूंझुनू लोकसभा से सांसद बने जगदीप धनकड़ इसके बाद कांग्रेस एवं फिर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ते हुये पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल बने। अब उपराष्ट्रपति चुने गये है। इनके एक भाई कांग्रेस व एक भाई भाजपा मे रहकर वर्तमान मे प्रदेश मे राजनीति कर रहे है।
         जाट बहुलता वाले शेखावाटी जनपद की कुल 21- विधानसभा सीटो मे से वर्तमान मे तीन पर भाजपा का कब्जा है। वही 18-सीटो पर कांग्रेस या कांग्रेस समर्पित विधायक है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया के 2018 के आम विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस जोईन करने के कारण सीकर जिले के चुनावी इतिहास मे पहली दफा कांग्रेस के अलावा किसी भी अन्य दल का उम्मीदवार नही जीत पाया। आठ सीटो मे से सात पर कांग्रेस के निशान पर व एक कांग्रेस का बागी निर्दलीय उम्मीदवार जीत पाया। जो निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ है।
             हालांकि जाट बहुल शेखावाटी जनपद परम्परागत रुप से कांग्रेस का गढ रहा है।लेकिन फिर भी कांग्रेस के अलावा विपक्ष के तौर पर कभी लोकदल, स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा व माकपा के निशान पर भी विधायक जीतते रहे। पहली दफा 2018 के विधानसभा चुनाव मे 21 मे से मात्र 03- तीन विधायक भाजपा के निशान पर जीत पाये एवं एक उम्मीदवार बसपा के निशान पर जीता जो बाद मे कांग्रेस मे शामिल हो गया। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा जनपद के लक्ष्मनगढ से विधायक है। उनकी राजनीतिक पकड़  अपने विधानसभा क्षेत्र के बाहर नगण्य बताते है। क्षेत्र मे उन्हें मुख्यमंत्री गहलोत का मुखपत्र के तौर पर देखा जाता है। उनपर रीट को लेकर ईडी की तलवार लटकी हुई है। पता नही वो तलवार कब चल जाये।
            डोटासरा के पहले शेखावाटी जनपद से सरदार हरलाल सिंह, रामनारायण चोधरी, डा. चंद्रभान, व चौधरी नारायण सिंह भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके है। जो जाट बिरादरी से तालूक रखते है। राजनीति मे सक्रिय चौधरी नारायण सिंह का पूत्र वीरेन्द्र सिंह व मरहूम रामनारायण चौधरी की पूत्री रीटा सिंह वर्तमान विधानसभा के सदस्य है। वही डा. चंद्रभान बीस सूत्री कार्यक्रम समिति, राजस्थान के उपाध्यक्ष है।इनके अलावा दिग्गज नेता रहे मरहूम शीशराम ओला के पूत्र विजेंद्र ओला सरकार मे मंत्री व मरहूम रामदेवसिंह महरिया के भतीजे सुभाष महरिया केंद्र मे मत्री व सांसद रह चुके है।
                 शेखावाटी जनपद की कुल 21- सीटो मे से 2018 के आम विधानसभा चुनाव मे सुभाष पुनिया, राजेन्द्र राठौड़ व अभिषेक महर्षि भाजपा की टिकट पर जीते। वर्तमान राज्य सरकार मे मंत्री राजेन्द्र गुढा बसपा की टिकट पर जीतकर कांग्रेस मे शामिल हो गये। कांग्रेस के बागी महादेव सिंह निर्दलीय जीतकर कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे है। इनके अलावा कांग्रेस के नीसान पर डा, जीतेन्द्र सिंह, जेपी चंदेलिया, रीटा सिंह, राजकुमार शर्मा, विजेंद्र ओला, नरेंद्र बुडानिया, कृष्णा पुनिया, भंवरलाल शर्मा, मनोज मेघवाल, हाकम अली, गोविंद डोटासरा, परशराम मोरदिया, राजेन्द्र पारीक, वीरेन्द्र सिंह, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, सुरेश मोदी कांग्रेस के निशान पर चुनाव जीते है। इनमे राजेन्द्र राठौड़, दीपेन्द्र सिंह शेखावत व राजेन्द्र गुढा राजपूत बिरादरी से, परशराम मोरदिया, मनोज मेघवाल व जेपी चंदेलिया आरक्षित सीट से अनुसूचित जाती से तालूक रखते है। राजकुमार शर्मा, अभिषेक महर्षि व राजेन्द्र पारीक ब्राह्मण बिरादरी से, हाकम अली मुस्लिम व मोदी बनिया बिरादरी से तालूक रखते है।
                  कुल मिलाकर यह है कि जगदीप धनकड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद कांग्रेस मे अपने परम्परागत जाट मतदाताओ को साधे रखने के लिये मंथन होने लगा। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस सरकार को बनाने मे शेखावाटी जनपद का अहम रोल रहा है। जहां भाजपा को मात्र तीन सीटो पर सिमटकर रख दिया गया।

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