खाटूश्यामजी मंदिर हादसे को लेकर मंदिर प्रबंध कमेटी के खिलाफ कार्यवाही के बजाय अधिकारियों पर गाज गिराई जा रही है।

 



      
             ।अशफाक कायमखानी।
सीकर-राजस्थान।

                हालांकि सोमवार को सुबह खाटूश्यामजी मंदिर मे मंदिर के रात को पाट बंद करके सुबह खोलने के समय भारी भीड़ जमा होने  के अचानक दर्शनार्थियों के अंदर जाने से हुई भगदड़ के चलते तीन महिलाओं की मौत के बाद स्थानीय विधायक वीरेन्द्र सिंह द्वारा अपने समर्थकों के साथ रैली निकालकर प्रबंध कमेटी के खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर धरने पर बैठने के बाद प्रशासन के हरकत मे आने के बाद प्रबंध कमेटी के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा स्वयं मुकदमा दर्ज नही करने पर सामाजिक कार्यकर्ता रामदेव खोकर ने मुकदमा दर्ज करवाया है। जबकि प्रशासन द्वारा अबतक स्थानीय चार अधिकारियों को निलम्बित किया है। जबकि प्रबंध कमेटी से सांठगांठ करने वाले अधिकारियों की पहचान करके उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। बताते है कि निलम्बित किये गये अधिकारियों मे से एक अधिकारी द्वारा निकट रिस्तेदारी मे गमी होने पर हेडक्वार्टर छोड़ने की बाकायदा छुट्टी ले रखी थी।
            सोमवार सुबह खाटूश्याम में मची भगदड़ में हुई तीन महिलाओं की मौत के बाद घटना के दिन खाटूश्यामजी थाना अधिकारी रिया चौधरी को सस्पेंड करने के बाद अब दांतारामगढ़ एसडीएम राजेश कुमार मीणा और रींगस सीओ सुरेंद्र सिंह व तहसीलदार विपुल को भी सस्पेंड कर दिया गया है। देर रात कार्मिक विभाग और पुलिस विभाग ने इसके लिए आदेश जारी किए हैं।
कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि राजेश कुमार मीणा (RAS) उपखंड अधिकारी दांतारामगढ़ के विरुद्ध विभागीय जांच कार्यवाही प्रस्तावित है। ऐसे में राजस्थान सिविल सेवा नियम,158 के तहत  राज्य सरकार राजेश कुमार मीणा को तुरंत प्रभाव से निलंबित करती है। इससे निलंबन काल में राजेश मीणा का मुख्यालय प्रमुख शासन सचिव, कार्मिक विभाग, शासन सचिवालय जयपुर के कार्यालय में रहेगा।
          वही DGP एम एल लाठर ने भी देर रात आदेश जारी कर रींगस सीओ सुरेंद्र सिंह (RPS) को निलंबित किया है। निलंबन काल में सुरेंद्र सिंह का मुख्यालय महानिदेशक पुलिस, जयपुर रहेगा। इस दौरान उन्हें आधा वेतन और उस पर मिलने वाला महंगाई भत्ता आदि नियमानुसार मिलेगा।
         घटना के बाद स्थानीय विधायक ने मंदिर कमेटी पर अनेक तरह के सवाल खड़े करते हुये वीआईपी दर्शन कराने का आरोप लगाते हुये मंदिर को देवस्थान विभाग के कब्जे मे देने की मांग की है। जबकि घटना के बाद प्रशासन ने वीआईपी दर्शन कराने के चोर दरवाजो को बंद कर दिया है। वही मंदिर इंतेजाम की जिम्मेदारी पूरी तरह प्रबंध कमेटी के पास होती है।
                  कुल मिलाकर यह है कि सरकार को खाटूश्यामजी मंदिर की घटना को गम्भीरता से लेते हुये बेकसूर छोटे अधिकारियों को नापने की बजाय उन अधिकारियों को नापना चाहिए जो वास्तविक तौर पर प्रबंध कमेटी से सांठगांठ करके रखते है। वही प्रबंध कमेटी के उचित प्रबंध करने मे असफल होने की जांच भी करनी चाहिए। करोड़ों लोगो की आस्था का केन्द्र खाटूश्यामजी मंदिर की घटना को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज जयपुर मे अपने आवास पर उच्च स्तरीय मीटिंग भी बूला रखी है।

टिप्पणियाँ