दिग्गज व प्रभाशाली कांग्रेस नेता चोधरी नारायण सिंह को कार्यक्रम मे आमंत्रित नही करने व विधायक परशराम मोरदिया व विधायक दीपेन्द्र शेखावत की गैर मोजूदगी आम लोगो के मध्य काफी चर्चा मे रही।
।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
पूर्व विधायक व सामाजिक सेवा मे जीवनभर अग्रणी भूमिका निभाकर जाने वाले मरहूम सांवरमल मोर की मूर्ति व स्कूल भवन का अनावरण करने नेछवा गावं आये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यक्रम के बावजूद जिले के कांग्रेस नेताओं की एकजुटता कोसो दूर नजर आई।
कार्यक्रम मे सात दफा विधायक रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जिले के शीर्ष व प्रभावी बुजुर्ग कांग्रेस नेता चोधरी नारायण सिंह को कार्यक्रम मे आमंत्रित तक नही किया गया बताते है। वर्तमान विधानसभा मे सबसे पुराने विधायक व प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रहे धोद विधायक परशराम मोरदिया ने कार्यक्रम से पूरी तरह दूरी बनाये रखी। वही विधानसभा अध्यक्ष रहे श्रीमाधोपुर विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत भी कार्यक्रम से नदारद रहे।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया मंच पर मुख्यमंत्री के साथ नजर आने के साथ अपने सम्बोधन मे क्षेत्र की पानी की भंयकर समस्या की तरफ मुख्यमंत्री का ध्यान खींचा। विधायक राजेन्द्र पारीक ने भी सम्बोधन दिया। जबकि विधायक वीरेन्द्र सिंह, विधायक महादेव सिंह, सुरेश मोदी व विधायक हाकम अली को सम्बोधन का अवसर भी नही मिला।
लक्ष्मनगढ विधायक व प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा कार्यक्रम को अपने तरीके से हाईजैक करते नजर आये। वहीं चर्चा है कि एक नेता की इच्छा के विपरीत मोर परिवार की मुख्यमंत्री से नजदीकी के चलते आखिर कार मुख्यमंत्री का उक्त कार्यक्रम फायनल हुवा बताते।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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