बाहरी कांग्रेस नेताओं की राजस्थान शरणस्थली बनता जा रहा। - दस जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर प्रदेश मे भारी आक्रोश।

 
             ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

              इसी हफ्ते राजस्थान के अनेक कांग्रेस नेताओं ने मूल रुप से यूपी से तालूक रखने वाले सचिन पायलट को इशारे से निशाने पर लेते हुये बाहरी नेता को मुख्यमंत्री नही बनने देने की आवाज बूलंद की थी। राजस्थान की दस राज्यसभा सीटो मे से चार सीटो पर दस जून को चुनाव होने है। उनमे से विधायकों की गणना के अनुसार तीन सीट कांग्रेस द्वारा जितने की सम्भावना के चलते हाईकमान ने किसी स्थानीय उम्मीदवार की बजाय हरियाणा-महाराष्ट्र व यूपी से तालूक रखने वाले नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने स्थानीय नेता घनश्याम तिवाड़ी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
                 कांग्रेस के उक्त उम्मीदवारों के अलावा वर्तमान मे उनके तीन राज्यसभा सदस्यों मे से नीरज डांगी के छोड़कर बाकी दो बाहरी पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह व संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल पहले से राजस्थान से सदस्य है। एवं अब हरियाणा के रणदीप सूरजेवाला, महाराष्ट्र के मुकुल वासनिक व यूपी के प्रमोद तिवारी शर्मा को राजस्थान से उम्मीदवार बनाने से स्थानीय स्तर पर आक्रोश देखने को मिल रहा है। वही कांग्रेस के परम्परागत अल्पसंख्यक मतदाताओं को प्रतिनिधित्व नही मिलने से उनमे निराशा का भाव नजर आने लगा है।
               कुल मिलाकर यह है कि स्थानीय को दरकिनार करके बाहरी उम्मीदवारों के चयन को लेकर हाईकमान के सामने मुख्यमंत्री गहलोत की सहमति को लेकर अनेक सवाल खड़े हो रहे है। वही अनेक लोग राजस्थान को चारागाह की संज्ञा देते हुये कहते है कि राजस्थान को कांग्रेस ने चारागाह बना लिया है कि कोई भी आये ओर चर करके चला जाये।



 

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