।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
राजस्थान का मुस्लिम समुदाय के बच्चे चाहे अधिकारी बनने की दौड़ ठीक से नही लगा पा रहे हो लेकिन मेडिकल व इंजीनियरिंग की दौड़ अब कुछ हद तक ठीक से लगाने की तरफ जरूर बढने लगे है।
खासतौर पर पहले समुदाय का मुस्लिम अधिकारी अपने बच्चों को भी अधिकारी बनाने की भरसक कोशिश करता नजर आता था। कुछेक को छोड़कर अधीकांश अधिकारियों के बच्चे जब अधिकारी बनने के लिये आवश्यक मुकाबलती परिक्षाओं को पूरी तरह पास नही कर पाते तो उनके सामने बढते उम्र के कारण विकल्प बहुत सीमित हो जाते थे। वही आम परिवारों के बच्चे भी गाईडेंस व साधनों के अभावों के कारण बहुत कम अच्छी लाईन पकड़ पाते थे। पर अब सीन कुछ बदला बदला नजर आने लगा है।
पूत के पैर पालने मे नजर आने की कहावत की तरह मुस्लिम समुदाय भी अब कुछ हद तक अपने बेटे-बेटियों की काबलियत मिडिल व सेकेंडरी तक देखकर उनको उनकी योग्यता का आंकलन करके मेडिकल व इंजीनियरिंग साईड की पढाई की तरफ मोड़ रहे है। खासतौर पर राजस्थान के शेखावाटी जनपद व मारवाड़ क्षेत्र के अतिरिक्त जयपुर शहर मे राज्य के अलग अलग हिस्सों से आकर बसने वाले परिवारों मे यह सबकुछ देखने को खूब मिल रहा है। जो बच्चे नीट मे पाई वरियता के अनुसार मेडिकल कालेज मे अपनी सीट पक्की कर लेते है तो अच्छा है। वरना पैयमेंट सीट पर दाखिला करवाने का सीलसीला चल पड़ा है। इन दोनो तरह से भारत की मेडिकल कालेज मे दाखिला नही मिल पाने पर कजाकिस्तान-बंगलादेश व यूक्रेन सहित अन्य देशो की मेडिकल कालेज मे दाखिला लेकर मेडिकल की पढाई करने वाले व करके आने वालो की लम्बी फेहरिस्त है। मानो अब इस तरफ धन का सदुपयोग हो रहा है। अधीकांश अधिकारी अपने बच्चों को केवल अधिकारी बनाने की जीद छोड़कर अब अपने बच्चों को नीट वरियता के मुताबिक मिनिमम फीस या फिर पैयमेंट सीट पर दाखिला करवाने की तरफ बढ चुके है। इन अधिकारियों के बच्चे अच्छी तादाद मे पैयमेंट सीट पर या विदेशी मेडिकल कालेज से मेडिकल की पढाई पढ रहे है। एवं पढकर आ चुके है।
मेडिकल की पढाई के अलावा इंडियन इस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी व नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के अलावा विभिन्न केन्द्रीय विश्वविद्यालयो से बी.टेक व अन्य विशेष विषयों मे डीग्री लेने का चलन भी अब जौर पकड़ने लगा है। उक्त नामी संस्थानों के अलावा स्थानीय सरकारी व निजी इंजीनियरिंग कालेज से भी बी.टेक व बी.आर्च की डीग्री लेने मे बच्चे इंटरेस्ट दिखाने लगे है। सकून देने वाली बात यह है कि इनमे बेटियों की तादाद भी अच्छी खासी है।
कुल मिलाकर यह है कि भारत के अन्य हिस्सों की तरह राजस्थान मे भी अशिक्षा का दंश झेलने वाला मुस्लिम समुदाय भी अब अपने बच्चों को अच्छी व आला मुकाम वाली तालीम दिलवाने की कोशिश करने लगा है। जिसके बाद लगता है कि तालीम की ताकत से वतन की तरक्की मे विशेष योगदान ओर अधिक तेजी से दे पायेगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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