कर्नाटक मे छात्राओं के हिजाब को लेकर मचे बवाल के पहलुओं को देखना होगा।

उत्तेजक भीड़ द्वारा धार्मिक नारे लगाकर छात्रा को घेरने के समय छात्रा उन नारो का जवाब उनकी भाषा मे देने के बजाय संविधान जिंदाबाद का नारा लगाकर देती तो स्थिति ओर अधिक बेहतर होती।

 ।अशफाक कायमखानी। 

जयपुर। हालांकि भारतीय संविधान हर महिलाओ को आजादी देता है कि वो किस तरह के कपड़े पहने। वो घूंघट मे रहे या बीना घूंघट मे रहे।वो साडी पहने या सलवार सूट या फिर घाघरा-लूगड़ी। यानि वो अपने पसंद के कपड़े पहन सकती है। किसी संस्था मे काम या शिक्षा पाने के लिये र्ड्स कोड हो सकता है। उडूपी की सरकारी कोलेज का वैसे कोई र्ड्स कोड नही था। फिर भी हिजाब पहनकर जाने वाली कुछ छात्राएं परिसर तक बूर्खा पहनकर जाती थी। कक्षा कक्ष मे जाने से पहले बूर्खा उतार लेती थी। पर सर के बाल स्कार्फ से ढक कर रखती थी। इसी का एतराज करने उत्तेजिक युवाओं का टोला कालेज परिसर मे आकर उन छात्राओं को भयभीत करके चुनाव के पहले राजनीतिक फायदे का माहौल बनाने का प्रयास कर रहे थे। इसी साल कर्नाटक मे विधानसभा चुनाव होने से पहले धर्म-जाती के नामपर मतदाताओं को आपस मे बांट कर माहोल को अपने पक्ष मे करने की कोशिश करके राजनीतिक लाभ पाने मे प्रयासरत कुछ संगठन के कार्यकर्ता अपने आकाओ के इशारे पर उडूपी कालेज मे हिजाब का मुद्दा बनाने मे लगे हुये।लेकिन उनकी कोशिश से बूने जाल मे फंसने की बजाय उन्हें संवैधानिक तरीको से सभी को जवाब देना चाहिए। कर्नाटक के उडूपी के एक सरकारी कालेज मे शिक्षा पाने के लिये सालो से हिजाब मे आ रही आठ छात्राओं को कुछ संगठन के वर्करस द्वारा अचानक रोककर उनके प्रवेश को बाधित करने की कोशिश से माहोल गरमाने के मध्य कल सेकंड यर की अकेली छात्रा मुस्कान को पहले कालेज परिसर के मुख्य गेट पर रोकने की कोशिश की गई। लेकिन महिला शक्ति का नमूना पेश करते हुये छात्रा परिसर मे प्रवेश करके अपनी स्कूटी को स्टेण्ड पर खड़ा करके मुख्य भवन की तरफ जाने लगी थी। इसी समय कुछ कालेज व अधिक बाहरी युवाओं की भीड़ ने उसे घेरकर धार्मिक नारे लगाकर हिजाब का विरोध करके उसे वापस जाने के लिये विवश करने लगे। लेकिन छात्रा ने हिम्मत से काम लेते हुये अकेली ने उनसे मुकाबला करते हुये जवाब मे उसने भी धार्मिक नारा लगाया। भीड़ से घिरी उस समय छात्रा की मनोस्थिति क्या रही होगी। यह तो वोही जाने। लेकिन उस भीड़ द्वारा लगाये जा रहे नारो का जवाब छात्रा संविधान जिंदाबाद का नारा लगाकर देती तो हालात ओर अधिक बेहतर होते। कुल मिलाकर यह है कि कर्नाटक के उडूपी की सरकारी कालेज मे बूर्खा पहन कर आने वाली छात्रा मुस्कान को उत्तेजिक युवाओं के घेरकर नारेबाजी करने के खिलाफ उन्हीं की भाषा मे छात्रा के जवाब देने के पक्ष व विपक्ष मे लोग खड़े नजर आ रहे है। अगर छात्रा उत्तेजिक युवाओं के नारो का जवाब उनकी भाषा मे ना देकर संविधान जिंदाबाद का नारा लगाती तो स्थिति ओर अधिक बेहतर होती।

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