।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
हालांकि भारत भर मे पीछले लोकसभा व कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों मे भाजपा को अच्छी खासी बढत मिलने के बाद पार्टी मे मुस्लिम नेतृत्व व प्रतिनिधित्व को लेकर ली जा रही अलग लाईन को लेकर मुस्लिम नेतृत्व को लेकर समुदाय के जेहन मे सवाल खड़े होने लगे है।
भाजपा के वर्तमान राजनीतिक रवैये को लेकर भारत भर की तरह राजस्थान राज्य मे भी भाजपा मे मुस्लिम नेतृत्व व प्रतिनिधित्व को लेकर समुदाय मे अलग तरह से मंथन होना देखा जा रहा है। भाजपा अब बहुसंख्यक मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिशें करने लगी है। भाजपा मे अल्पसंख्यक मोर्चा नामक संगठन व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच मे मुस्लिम ओहदेदार जरुर नजर आते है। पर अब अधीकांश प्रदेशों मे लोकसभा व विधानसभा के लिये मुस्लिम को उम्मीदवार बनाने से पार्टी दूर भागती नजर आ रही है।
राजस्थान मे भैरोंसिंह सिंह शेखावत व वसुंधरा राजे के नेतृत्व मे सरकार गठित होने के अलावा उन दोनो नेताओं का दबदबा पार्टी पर कायम रहने के समय किसी ना किसी रुप मे मुस्लिम को सरकार व संगठन मे प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। राजे के नेतृत्व वाली सरकार के समय यूनूस खा पावरफुल मंत्री हुवा करते थे। 2018 के पीछले विधानसभा चुनाव मे पार्टी पर राजे की पकड़ ढीली व संघ की पकड़ मजबूत होते ही मात्र एक मुस्लिम यूनूस खान की डीडवाना से टिकट काट दी गई। अंत मे हारने के लिये उन्हें टोंक से उम्मीदवार तो बनाया जहां से वो जीत नही पाये।
भाजपा मे ऐसे नेता मोजूद है जिन्हें उनके व्यक्तिगत सम्पर्क के तौर पर उन्हें कुछ अल्पसंख्यक मत मिलते आ रहे है। अधीकांश अल्पसंख्यक मतदाता भाजपा के खिलाफ ही मतदान करते नजर आते है। वर्तमान समय मे भाजपा के अल्पसंख्यक नेता यूनूस खान को भाजपा की बजाय पूर्व मुख्यमंत्री राजे का वफादार नेता के तौर पर देखा जाता है। वर्तमान समय मे भाजपा ने प्रदेश मे राजे को साईड लाईन कर रखा है। अगर यही हालात रहे तो राजे भाजपा मे कमजोर होती जायेगी। तब के हालात मे 2023 मे यूनूस खान को भाजपा की टिकट मिलना नामुमकिन हो जायेगा।
कुल मिलाकर यह है कि आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव मे राजे की पकड़ कमजोर व संघ की पकड़ काफी मजबूत होने की सम्भावना हैँ। उस स्थिति मे प्रदेश मे भाजपा जो मात्र एक उम्मीदवार मुस्लिम को बनाती थी। उसकी सम्भावना भी क्षीण होती दिखाई दे रही है। ऐसे हालात मे डीडवाना से वर्तमान मे मजबूत स्थिति के बावजूद संघ की जिद के चलते यूनूस खान को टिकट मिलना नामुमकिन लगता है।
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