।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त चलने के अलावा मुख्य सचिव के इसी जनवरी महीने मे सेवाकाल पूरा होने पर सेवानिवृत्त होने के चलते इन पदो के अलावा कुछ अन्य पदो पर नई नियुक्ति होने की सम्भावना बन रही है।
वर्तमान मुख्य सचिव निरंजन आर्य के एक्सटेंशन केन्द्र द्वारा स्वीकृत नही होने की सम्भावना के चलते उनके एक्सटेंशन की फाईल ही केंद्र नही भेजने का सरकारी स्तर पर तय हो रहा बताते है।उस स्थिति मे जनवरी आखिर मे राजस्थान को नया मुख्य सचिव इतिहास मे दूसरी दफा कोई महिला अधिकारी के रुप मे मिल सकता है। वर्तमान मुख्य सचिव निरंजन आर्य के सेवानिवृत्ति के बाद उनके राजनीति मे कदम रखकर आरक्षित सीट सोजत या मेड़ता से चुनाव लड़ने की तैयारी की सम्भावना जताई जा रही है। जबकि इनकी पत्नी संगीता आर्य जिन्होंने सोजत से 2018 मे चुनाव लड़ा था। वर्तमान मे वो राजस्थान लोकसेवा आयोग की सदस्य है। अगर कोई ज्यादा उठा-पटक नही हुई तो आईएएस ऊषा शर्मा या वीनू गुप्ता मे से कोई एक मुख्य सचिव बन सकती है।
राजस्थान लोकसेवा आयोग की पूर्ण पीठ मे भूपेन्द्र यादव के सेवानिवृत्त होने के बाद से अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा है। कार्यवाहक अध्यक्ष शिवसिंह राठौड़ का कार्यकाल भी इसी महीने पूरा हो रहा है। दो पद के रिक्त होने के तहत नये अध्यक्ष व एक सदस्य का मनोनयन होने की सम्भावना जताई जा रही है। अगर कोई बडा उलटफेर नही हुवा तो एडीजी बी.एल सोनी या एम एल लाठर मे से कोई एक को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जबकि एक सदस्य मुस्लिम समुदाय से बनाया जा सकता है।
कुल मिलाकर यह है कि मुख्य सचिव व आरपीएससी अध्यक्ष के रुप मे नये चेहरे देखने को मिलने के साथ साथ राजस्थान स्टेट पीछडी जाति आयोग व महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर भी नये चेहरे देखने को मिल सकते है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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