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राजस्थान मे अब मस्जिद कमेटियां भी जदीद तालीम की अहमियत समझकर तालीम का मयार बढाने की तरफ आगे कदम बढाने लगी है।


               ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

             नमाज अदा करने के अतिरिक्त तालीम के क्षेत्र मे भी मस्जिद की उपयोगिता को समझते हुये राजस्थान मे मस्जिद प्रबंध समितियों ने जदीद तालीम का प्रबंध करने की तरफ कदम बढाने का मन बना लिया है।
             हालांकि अधीकांश मस्जिद प्रबंध समितियों ने मस्जिद परिसर मे किसी ना किसी रुप मे पवित्र किताब कुरान-ए-पाक को उसकी मूल भाषा अरबी मे पढना सीखने का इंतजाम मक्तब बनाकर कर रखा है। लेकिन अब जदीद तालीम की कोचिंग देने व उसके मुतालिक पढने के लिये आवश्यक किताबो का जखीरा लाईब्रेरी के रुप मे जरुरतमंदो के लिये उपलब्ध करवाने का तय किया है।
              राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद कस्बे की जामा मस्जिद के एक कमरे मे शुरुआती तौर पर बाकायदा फर्नीचर लगाकर लाईब्रेरी व बच्चों को साईंस-मेथस व अन्य विषयों की कोचिंग आला दर्जे की फेकल्टीज द्वारा निशुल्क देने का तय किया है। जिसकी चारो तरफ प्रशंसा हो रही है।
               मस्जिद परिसर का नमाज के अलावा अधीकांश समय उपयोग प्रदेश मे नही होता है। कभी कभार व कही कही मस्जिद परिसर मे निकाह के लिये भी उपयोग किया जाता है। जबकि मस्जिद परिसर के शयन के अलावा उससे लगते कमरे या अन्य भवन भी अधीकांश जगह कायम रहते है। मस्जिद प्रबंध समितियां अकेले या पांच पांच मस्जिद की प्रबंध समितियां मिलकर जदीद तालीम की आवश्यकता को समझकर शैक्षणिक व मुकाबलाती परीक्षाओं की तैयारी कराने की पहल करे तो चारो तरफ बदला बदला माहोल नजर आने लगेगा।

                            जामा मस्जिद-नसीराबाद , अजमेर  (Photo credit Javed Khan )
 

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