।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
भरतपुर के नगर विधानसभा से बसपा की टिकट पर चुनाव जीतकर आने के बाद कांग्रेस मे शामिल होने वाले विधायक वाजीब अली की मध्यस्थता से पीछले 97-दिन से जयपुर के शहीद स्मारक पर चलने वाले धरने व अनसन पर बैठे शमशेर खान के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री गहलोत से उनके आवास पर मिला। जहां सकारात्मक वार्ता के बाद आंदोलन समाप्त व शमशेर खान को मुख्यमंत्री ने ज्यूस पिलाकर अनसन तोड़ने की घोषणा हुई।
आंदोलनरत पैराटीचर्स द्वारा कल धरना स्थल से दिल्ली रवाना होने की कोशिश के समय पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद तनाव उत्पन्न हो गया था। उसके बाद शामको धरना स्थल पर अनेकों सफल आंदोलन चला चुके सांसद किरोड़ीलाल मीणा के आकर धरनार्थियों को सम्बोधित करके उनके साथ खड़ा होने के बाद सरकारी स्तर पर हलचल बढने लगी। आज सरकार की तरफ से विधायक वाजीब अली, विधायक आमीन व विधायक रफीक के एक साथ अचानक धरनास्थल पर पहुंच कर वार्ता करने के बाद वो आंदोलनकारी पैराटीचर्स के एक प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री से वार्ता के लिये ले जाने मे कामयाब रहे। मुख्यमंत्री द्वारा उनकी मांगो पर सकारात्मक विचार करने के आवश्वासन के बाद आंदोलन वापस लेने की घोषणा की गई।
कुल मिलाकर यह है कि विधायक वाजीब अली शुरुआत से पैराटीचर्स की मांगो के समर्थन मे उनके साथ आंदोलन के हर कदम मे साथ खड़े नजर आये। उन्होंने मांगे नही मानने पर विधायक पद से त्याग पत्र देने की धमकी भी दे रखी थी। इससे मदरसा पैराटीचर्स मे उनके प्रति विश्वास कायम होने पर उनकी पहल पर मुख्यमंत्री से वार्ता होकर आंदोलन समाप्त हो पाना सम्भव हुवा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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