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राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी व कांग्रेस नेताओं की बढती नजदीकियां खासतौर पर सीकर मे रंग दिखा सकती है!

 
               ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
              
किसी समय घोर विरोधी दल रहे कांग्रेस व वामपंथी दल अब कुछ सालो से सत्ता से दूर रहने व केन्द्र मे पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार गठित होने के बाद कांग्रेस व वामपंथी दल एक दुसरे के नजदीक आते दिखाई दे रहे है। वामपंथी दलो मे खासतौर पर माकपा मे हार्ड लाईनर माने जाने वाले कामरेड प्रकाश कारात के बजाय सोफ्ट प्रवृति के नेता कामरेड सीताराम यचूरी के अपने दल मे आगे आने के बाद से दोनो दलो मे नजदीकियां बढी है।
                 हालांकि समय समय पर कामरेड सीताराम यचूरी का कांग्रेस नेताओं से मिलना होता रहता है। हालही मे 14-दिसम्बर को कांग्रेस नेता सोनिया गाधी के यहां प्रमुख विपक्षी नेताओं की अहम मीटिंग भाजपा के मुकाबले के लिये मिलकर खड़ा होने के लिये हुई है। जिसमे कामरेड सीताराम यचूरी भी शामिल थे। इस बैठक मे खासतौर पर राज्यसभा से निष्कासित विपक्षी सांसदो को लेकर सदन मे भाजपा का मुकाबला करने को लेकर थी। जिसमे निष्कासित सांसदों द्वारा माफी नही मागने का तय होने के साथ राकांपा नेता शरद पंवार को मामला सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन उस मीटिंग मे माकपा को छोड़कर बाकी शामिल दलो के साथ कांग्रेस का सरकार मे गठबंधन है या फिर कभी ना कभी रहा है।
               कांग्रेस अब राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये विपक्षी दलो से किसी भी रुप मे गठबंधन कर सकती है। राजस्थान मे 2023 मे होने वाले विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस किसी भी सूरत मे रीपीट होना चाहती है। जिसके लिये वो प्रदेश मे छोटे छोटे दलो से गठबंधन कर सकती है। अगर उस समय अन्य छोटे दलो के अलावा कांग्रेस का माकपा से किसी भी तरह से गठबंधन होता है तो उसका प्रभाव सीकर मे भी पड़ेगा। जिसके तहत खासतौर पर धोद व दांतारामगढ़ विधानसभा सीट जहां से कभी माकपा के विधायक रहे है। वर्तमान मे वहा से कांग्रेस के निशान पर जीते परशराम मोरदिया व वीरेंद्र सिंह विधायक है। माकपा राज्य सचिव व पूर्व विधायक कामरेड अमरा राम तीन दफा सीकर जिले की धोद व एक दफा दांतारामगढ़ से व कामरेड पेमाराम एक दफा धोद से विधायक रह चुके है।

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