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आठ करोड़ स्वीकृति के बाद भी कुछ कथित मुस्लिम संगठन अल्पसंख्यक हास्टल निर्माण का विरोध कर रहे है। राजस्थान के दूद-दराज से आने वाले स्टूडेंट्स के लिये हास्टल शैक्षणिक व सुरक्षित रुप से बडा आसरा हो सकता है


             ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               हालांकि अव्वल तो वर्तमान समय मे सरकारे खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय मे शैक्षणिक तौर पर बडे काम करने के लिये आगे आने से भागती नजर आती है। लेकिन कभी कभार सरकारी अधिकारी की भागदौड़ व सरकार की समुदाय मे शैक्षणिक माहोल बनाकर उनको मेन स्टीम मे लाने की मंशा अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय के हित व उनकी आवश्यकता अनुसार किसी तरह का कदम उठने लगता है तो चंद लोग पर्दे के पीछे अपने छिपे ऐजेण्डे के चलते उस अच्छे कदम की राह का रोड़ा बनकर सामने अवरोध की तरह आकर खड़े हो जाते है।
            राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय व विभिन्न तरह की मुकाबलाती परीक्षाओं की कोचिंग संस्थानों के चार पांच किलोमीटर तक की परिधि मे मुस्लिम स्टूडेंट्स के रहने के लिये किसी तरह के हास्टल की व्यवस्था नही होने व उसकी सख्त आवश्यकता को भांपकर अल्पसंख्यक विभाग के निदेशक जमील अहमद कुरैशी सहित कुछ अन्य अधिकारियों की तरक्की पसंद सोच के चलते उनकी भागदौड़ की ताकत के फलस्वरूप राजस्थान विश्वविद्यालय के समीप मोतीडूंगरी के पास वाली दरगाह के पास खाली पड़ी बडी जमीन के एक हिस्से मे सरकार की मदद से अल्पसंख्यक हास्टल निर्माण के लिये आठ करोड़ की राशि सरकार से स्वीकृत होने के बाद कुछ मुस्लिम संगठन बीना वजह विरोध मे अवरोध बनकर खड़े हो गये है। जबकि उनको हास्टल निर्माण के लिये आगे आकर पहल करनी चाहिये थी।
               भारत भर की तरह जयपुर की अनेक किमती व मौके की वक्फभूमि पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा सालो से कर रखा है। शास्त्रीनगर स्थित कब्रिस्तान व एम आई रोड़ स्थित नवाब कल्लन बाग सहित जयपुर शहर मे सेंकड़ो वक्फभूमि पर अवैध रुप से कच्चे-पक्के अतिक्रमण होकर जमीने खूर्दबूर्द हो चुकी एवं हो रही है। पर मुस्लिम समुदाय उन अतिक्रमणकारियों से भूमि मूक्त करवाना तो दिगर बात है पर उसकी पहल तक नही कर पा रहा है। इसके विपरीत शिक्षा व मुकाबली परीक्षा की तैयारी के लिये जयपुर आने वाले अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स के रहने के लिये बनने वाले हास्टल के लिये दरगाह की खाली पड़ी जमीन के एक हिस्से का उपयोग कर निर्माण की 8-करोड़ की राशि स्वीकृत होने के बाद कुछ कथित मुस्लिम संगठन कुछ लोगो के बूने जाल मे फंसकर उक्त निर्माण के विरोध मे आ खडे हो गये है। सरकारों को तो वैसे ही बहाना चाहिए।अगर मुस्लिम समुदाय आगे आकर हास्टल निर्माण को शुरू करवाकर उसे मुकम्मल नही करवाया तो आने वाली पीढियां उन्हें कभी माफ नही करेगी।
                कुल मिलाकर यह है कि जयपुर शहर के मुस्लिम समुदाय को दूरगामी सोच रखते हुये बडे हित को सामने रखकर  सरकार की तरफ से स्वीकृत हो चुके आठ करोड़ का उपयोग करते हुये उक्त होस्टल निर्माण की सभी बाधाओं को दूर करके निर्माण कार्य शीघ्र शूरु करवा कर आने वाली पीढी के साथ न्याय करना चाहिए। विरोध मे उतरे संगठनों के जिम्मेदारो को ठंडे दिमाग से सोच कर  सकरात्मक फैसला लेना चाहिए। वरना स्टुडेंट्स उन्हें सालो तक माफ नही कर पायेंगे।

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