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जयपुर मे कांग्रेस द्वारा आयोजित महगाई हटाओ रैली मे राहुल गांधी के महंगाई के बजाय हिन्दू व हिन्दुत्व पर दिये सम्बोधन से कांग्रेस अलग दिशा की तरफ जाती नजर आती है।



        रैली मे राहुल गांधी सहित दर्जन भर से अधिक राष्ट्रीय नेताओं ने सम्बोधित किया। पर सोनिया गांधी मंचासिन रहने के बावजूद सम्बोधन नही दिया।
         राहुल ने कहा यह देश हिन्दुओं का है, हिन्दुओं का राज वापस लाना है।

                ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               कांग्रेस द्वारा देश मे बढती महंगाई को लेकर केंद्र सरकार को घेरने के लिये जयपुर मे 12-अक्टूबर को आयोजित राष्ट्रीय महंगाई हटाओ रैली को सम्बोधित करते हुये कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महंगाई पर कम बल्कि हिन्दू व हिन्दुत्व पर अधिक समय बोलने के बाद लगता है कि कांग्रेस अब धर्मनिरपेक्षता का लबादा उतारकर भाजपा की राह पर चलकर फिर से खड़ी होकर सत्ता मे आने का ख्वाब देखने लगी है। रैली मे मुख्य मंच व वक्ताओं की सूची से मुस्लिम समुदाय के किसी नेता को जगह ना देकर कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वो अब अल्पसंख्यक की बजाय बहुसंख्यकों पर फोकस करते हुये आगे बढेगी।
                  राहुल गांधी ने अपने आपको हिन्दू बताते हुये कहा कि देश की राजनीति में आज दो शब्दों का अंतर है. इन दो शब्दों के मतलब अलग है. एक शब्द हिंदू और दूसरा शब्द हिंदुत्ववादी है. ये एक शब्द नहीं है, ये दोनों अलग है. मैं हिंदू हूं लेकिन मैं हिंदुत्ववादी नहीं हूं. महात्मा गांधी हिंदू थे और नाथूराम गोडसे हिंदुत्ववादी थे। उन्होंने हिन्दू देश बनाने की वकालत की।
               उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, हिन्दू सत्य को ढूंढता है. मर जाए, कट जाए हिन्दू सच को ढूंढता है. उसका रास्ता सत्य रहा. पूरी जिन्दगी वो सच को ढूंढने में निकाल देता है. जबकि हिंदुत्ववादी पूरी जिंदगी सत्ता को ढूंढने और सत्ता पाने में निकाल देता है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि हिंदू खड़ा होकर अपने डर का सामना करता है. वह अपने डर को शिवजी जैसे पी लेता है. हिंदुत्ववादी अपने डर के सामने झुक जाता है. डर से हिंदुत्ववादी के दिल में नफरत पैदा होती है। उन्होंने सम्बोधित करते हुये कहा कि आप सब हिंदू हो, हिंदुत्ववादी नहीं. इन लोगों को किसी भी हालत में सत्ता चाहिए. महात्मा गांधी ने कहा कि मैं सच्चाई चाहता हूं. लेकिन ये लोग कहते है मुझे सत्ता चाहिए, सच्चाई से कुछ लेना नहीं. 2014 से हिंदू नहीं हिंदुत्ववादी का राज है। रामायण, महाभारत, गीता पढ़िए, कहां लिखा है गरीब को मारिए, कमजोर को कुचलिए. गीता में लिखा है सत्य की लड़ाई लड़ो, ये झूठे हिंदू हिंदुत्ववादी का ढिंढोरा पीटते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि भारत की 1% आबादी के हाथ में 33% धन है, जबकि सबसे गरीब 50% के हाथ में देश का सिर्फ 6% धन है. महंगाई, GST, तीन काले कानून से इतना फर्क आया है।  किसानों को कर्जा माफी की जरूरत है. नरेंद्र मोदी ने किसानों की आत्मा में चाकू मार दिया है. राहुल ने कहा- देश की सरकार कहती है कि कोई किसान शहीद ही नहीं हुए. मैंने पंजाब के लिए, हरियाणा से नाम लिए, पांच सौ लोगों की लिस्ट संसद में दी. उनसे कहा कि पंजाब की सरकार ने कंपनसेशन दिया है, आप भी दीजिए. उन्होंने दिया नहीं। हर संस्थान एक संगठन के हाथ में है. मंत्रियों के ऑफिस में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के ओएसडी हैं। देश गरीबों, किसानों, छोटे दुकानदारों का है, ये ही लोग इस देश को रोजगार दे सकते हैं. अडानी अंबानी की जगह है लेकिन वो रोजगार पैदा नहीं कर सकते. रोजगार छोटे बिजनेस वाले, किसान पैदा कर सकते हैं,
      राहुल गांधी ने द्योगपतियों को रियायत देने को लेकर भी मोदी पर तंज कसा. राहुल ने कहा- मोदीजी 24 घंटे यानी सुबह उठते ही कहते हैं, आज अडानी को क्या देना है. ऐसे देश नहीं चलाया जाता है।
              धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढे रहने के समय कांग्रेस की सरकार के समय देश मे मेरठ, मलियाना, हासिमपुरा, भिवंडी, मुरादाबाद व भागलपुर सहित सेंकड़ो साम्प्रदायिक दंगे भारत मे हुये। जबकि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिक्ख समुदाय का कत्लेआम हुवा। बाबरी मस्जिद का ताला खोलने को लेकर उसको शहीद किया गया। राजस्थान मे गोपालगढ़ मे मस्जिद मे नमाजियों को पुलिस द्वारा गोली से भूंदना कांग्रेस की गहलोत सरकार के समय हुवा था।
             कांग्रेस के नीतिनिर्धारकों की कमजोरी या फिर चालाकी के कारण पीछले कुछ सालो से भाजपा द्वारा कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी घोषित करके उसको आमजन तक प्रचारित करने व बहुसंख्यकों को अपनी तरफ आकर्षित करने मे कामयाब होती नजर आई है।इसी के चलते भाजपा ने पहले 2014 व फिर 2019 मे अपने बलबूते केन्द्र मे सरकार बनाने मे कामयाब रही है।
                 एक दशक से पहले पर्दे के पीछे व एक दशक से खुले तौर पर कांग्रेस सोफ्ट हिन्दुत्व के ऐजेण्डे पर राजनीति करती रही है। जबकि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा बहुसंख्यक हितेषी पार्टी होने का खुलेआम राजनीति करने से वो सत्ता के शीर्ष तक पहुंच चुकी है। जहां पहुंच कर वो अपने ऐजेण्डे को लागू करने की भरपूर कोशिश कर रही है।इन सब बातो से लगता है कि कांग्रेस भी अब सत्ता पाने के लिये भाजपा की राह पर चल सकती है।


 

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