भारत भर मे दीपावली की छुट्टियों के चलते शेखावाटी जनपद मे मुस्लिम समुदाय मे शादियों की धूम।
।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
सीकर, चूरु व झूंझुनू जिलो को मिलाकर कहलाने वाले शेखावाटी जनपद के मुस्लिम समुदाय के लोग जो राज्य के बाहर अलग अलग जगह दिशावरो मे रहते है वो अक्सर दीपावली की छुट्टियों मे अपने आबाई घर आकर बच्चों की शादियां करने के सीलसीले के तहत इस दफा भी यहां आकर छुट्टियों मे शादियों की धूम मचा रखी है। कोराना काल के कारण दो साल से रुकी शादियों के कारण अब मिली छूट व सरकार की तरफ से दी गई ढील के कारण वर्तमान मे शादियो की तादाद अधिक होना बताते है। ना अधिक सर्दी व ना अधिक गर्मी वाले इस समय रहने वाले गुलाबी मोसम मे जिनके घर या रिस्तेदारी मे होने वाली शादियों की अतिरिक्त वो लोग भी अपने बच्चों को अपनी मिट्टी से जोड़े रखने के लिये साल मे एक दफा इन छुट्टियों मे जनपद के लोग घर जरूर आते है।
हालांकि सनातन मान्यता के अनुसार शादियों के लिये शुभ मुहर्त 14-नवम्बर से शुरु होना बताया जा रहा है। लेकिन दिशावर मे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग व इनसे रिस्ते मे जुड़े लोग दीपावली की छुट्टियों मे सहुलियत के दिन मानकर यहां आकर ही बच्चों की शादीयाँ करते है। बच्चों के स्कूल की छुट्टियां व लेबर के दीपावली पर अपने अपने घर जाने के चलते यह लोग इन दिनो को अवसर के रुप मे लेते है। इस समय बच्चों के साथ परिवार के आबाई घर आने का फायदा यह भी होता है कि बच्चों के बराबर व तालमेल के रिस्ते आसानी से देखकर तय करके आगामी छुट्टियों मे शादी की डेट भी तय करली जाती है। लड़का-लड़की के यहां आने से उपलब्धता होने से एक दुसरे के दिसावर मे अलग अलग जगह यहां देखने जाने के खर्चे से बचा जाता है। यहां एक दुसरे के देखने व रिस्ता तय करने के अवसर आसानी से अच्छे मिलते है।
इस अवसर पर शहरो मे होने वाली शादियों मे अधीकांश जगह लड़की के घर खाना (सामुहिक भोजन व्यवस्था) नही होता है। लड़के के घर शादी के अगले दिन रिसेप्शन (वलीमा) की दावत जरुर होती है। जिसमे भी अब मटन वेरायटी की जगह शाकाहारी भोजन का चलन आम हो चुका है। हां एक रिवाज जरूर नया चल चुका है कि शादी के पहली शाम को कंगना (रातीजगा) की दावत जरुर लड़का-लड़की के घर होने लगी है। इन दिनो हो रही अधीकांश शादियों मे दावत मे मटन का उपयोग हुआ नही अगर कही पर हुवा तो वो बहुत ही सीमित मात्रा मे। हां यह जरुर है कि मटन की जगह चिकन का उपयोग खूब होने लगा है। जिसका कारण मटन का काफी महंगा व मटन के मुकाबले चिकन का सस्ता होना भी प्रमुख कारण हो सकता है।
इस समय गांवो मे होने वाली शादियों मे लड़की (दुल्हन) के घर बारात व आम रिस्तेदारों व आमंत्रित लोगो के लिये भोजन का इंतजाम होता है। जबकि शहरों मे होने वाली अधीकांश शादियों मे लड़की के घर किसी तरह का सामुहिक खाना ना होकर लड़के वाले रिसेप्शन (वलीमा) की दावत करते है। जहां आमंत्रित लोग भोजन करते है। इस साल इन शादियो मे फिजूल खर्च होता बहुत कम जगह देखने को मिला। कुछ शादियों मे डीजे का चलन देखा गया। जबकि अधीकांश शादियां सादगी के साथ (मस्जिद मे निकाह) होना पाया गया। डेकोरेशन के नाम पर आवश्यक लाईटे व कुछ चालनी टंगी नजर आई।
कुल मिलाकर यह है की दीपावली की छुट्टियों मे शेखावाटी जनपद मे हो रही शादियो मे फिजूल खर्च मे पहले के मुकाबले काफी कम खर्च होना देखा गया। दो साल से कोराना काल के कारण रुकी हुई शादियों के कारण इस दफा शादियां अधिक होना पाया गया। नोटबंदी व कोराना काल के कारण आई मंदी एवं आसमान छूती महंगाई का असर भी इन दिनो शादियों मे साफ नजर आया।
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