सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा तीन कांग्रेस व तीन निर्दलीय विधायकों को अपना सलाहकार नियुक्त करने के बाद उठने लगे अनेक सवाल।


                ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
             
    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पहले विभिन्न क्षेत्र मे दक्ष दो सलाहकार सेवानिवृत्त मुख्य सचिव डीबी गुप्ता व सेवानिवृत्त सीनियर आईएएस अरविंद मायाराम नियुक्त होने के बाद कल मंत्री बनने से वंचित रहे विधायको मे से छ विधायको को अपना सलाहकार नियुक्त करने पर अनेक तरह के सवाल उठने के बाद भाजपा के उपनेता राजेन्द्र राठोड़ ने राज्यपाल को आज पत्र लिखकर उनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग की है।
               मुख्यमंत्री ने कल सलाहकार के तौर पर विधायक जितेंद्र सिंह, विधायक बाबूलाल नागर, राजकुमार शर्मा, संयम लोढा, रामकेश मीणा व दानिश अबरार नियुक्त किये है। जिनमे तीन कांग्रेस व तीन निर्दलीय विधायक है। जितेंद्र पहले दो दफा मंत्री, बाबूलाल नागर व राजकुमार शर्मा एक दफा मंत्री, रामकेश मीणा संसदीय सचिव रह चुके है। दानिश अबरार पहली दफा विधायक बने है। मुख्यमंत्री गहलोत अपने आपको अक्सर राजनीति का जादूगर बताते रहते है। वही उनके तीन दफा मुख्यमंत्री बनने के अलावा प्रदेश व केन्द्र सरकार मे मंत्री रहने के अनुभव व दक्षता के मुकाबले उक्त छ विधायकों की दक्षता कही पर भी नही ठहरती है। ऐसे हालात मे उक्त छ सलाहकार उनको किस तरह की सलाह देने मे सक्षम होगे यह गहलोत से बेहतर कोई नही जान सकते।
       मुख्यमंत्री के नवनियुक्त सलाहकार  गंगापुर सीटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने पहले दिन ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर जौरदार राजनीतिक हमला करकेशुरुआत की है। जबकि राजकुमार शर्मा भारी लवाजमे के साथ आज अपने निर्वाचन क्षेत्र नवलगढ़ पहुंच कर एक तरह से मंत्री बनने जैसा स्वागत-सत्कार करवाया है।
          पीछले साल अगस्त-सितंबर मे अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमे मे कांग्रेस विधायको के बंटने के बाद गहलोत ने पायलट समर्थक कुछ मंत्रियों को मंत्रीमंडल से हटा दिया था। उसके करीब एक साल लम्बी चली राजनीतिक कसमकस व जद्दोजहद के बाद कल गहलोत मंत्रीमंडल का विस्तार व पुनर्गठन हुवा। जिसमे विधायको के पंद्रह प्रतिशत अधिकतम मंत्री बनाने की बाध्यता के तहत सभी जगह को पूरी तरह भरते हुये मंत्रीमंडल के अब तीस सदस्य बन गये। नये बने सलाहकारों को केबिनेट मंत्री का दर्जा दिये जाने की सम्भावना जताई जा रही है।
         कुल मिलाकर यह है कि गहलोत-पायलट के मध्य रस्साकशी के समय गहलोत के साथ रहे विधायकों को गहलोत अब उपकृत करना चाहते है। लेकिन मंत्रीमंडल मे सिमीत संख्या होने व उसमे भी पायलट खेमे के विधायको को एडजस्ट करने के कारण मुख्यमंत्री विधायको मे उनके प्रति पनपते असंतोष को दबाने के लिये विधायको को सलाहकार पद सहित अन्य जगह एडजस्ट कर रहे है। फिर भी कुछ विधायको ने असंतोष खुलकर जाहिर कर दिया है।






 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...