।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
राजस्थान के सत्ता मे आने के लिये वर्तमान सरकार मे कांग्रेस के लिये मजबूत गढ के तौर पर साबित हुये चूरु-झूंझुनू व सीकर नामक तीन जिलो को मिलाकर कहलाने वाले शेखावटी जनपद के वर्तमान सरकार के पावरगेम मे नवम्बर की शुरुआत से बदलाव आने की सम्भावना जताई जाने लगी है।
हालांकि प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा-कांग्रेस के मुखिया शेखावाटी जनपद से तालूक रखते है। जिनका आम विधानसभा चुनाव से पहले पद से हटना लगभग तय बताया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस मे एक पद एक व्यक्ति के सिद्धांत के तहत रघु शर्मा व हरीश चोधरी के साथ गोविंद डोटासरा का हटना मंत्रीमंडल विस्तार व वदलाव मे तय माना जा रहा है।
पहले 16-अक्टूबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल्ली मे प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल व अजय माकन के साथ राजस्थान को लेकर चर्चा करने के बाद कल गहलोत के राज्यपाल से मिलने के बाद राजनीति मे गहमागहमी तेज हो चुकी है। राजनीतिक नियुक्तियों व मंत्रिमंडल विस्तार व बदलाव को लेकर चर्चा बढती गुलाबी गुलाबी ठंड के मौसम मे गरमाहट ला दी है। प्रदेश स्तर पर होने वाले बदलाव को छोड़कर केवल शेखावाटी जनपद पर नजर दौड़ाये तो पाते है कि सत्ता के पावर सेंटर बने शिक्षा मंत्री डोटासरा की मंत्रिमंडल से रवानगी होगी। उनके बदल मे सीकर से दीपेन्द्र सिंह या महादेव सिंह मे से किसी एक को केबिनेट मंत्री व नये बने विधायको मे से एक को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता को राजनीतिक नियुक्ति देकर केबिनेट का दर्जा मिल सकता है। झूंझुनू से जितेन्द्र सिह, विजेंदर सिंह, राजकुमार शर्मा व राजेन्द्र गुडा मंत्री बनने की दौड़ मे लगा हुये है। इनमे से एक केबिनेट व एक राज्य मंत्री बन सकता है। एक नेता को राजनीतिक नियुक्ति देकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। चूरु से नरेन्द्र सिंह को मंत्री बनाया जा सकता है।
कुल मिलाकर यह है कि नवम्बर की शुरुआत मे मंत्रीमंडल बदलाव व राजनीतिक नियुक्तियों मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की एक तरफा चलती लगती है। पायलट समर्थक पांच-छ विधायको को मंत्री व दो-तीन को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है। पायलट स्वयं को केन्द्रीय कमेटी मे महत्वपूर्ण पद मिल सकता है।नवम्बर से शुरुआत मे शेखावाटी जनपद मे सत्ता के पावरगेम मे साफ बदलाव नजर आयेगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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