राजस्थान कांग्रेस प्रभारी महामंत्री की नजर अब हारे हुये उम्मीदवारों पर भी जा सकती है। - वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम के मध्य लोकसभा उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस हाईकमान तक विभिन्न तरीकों से अपनी बात पहुंचाई है।


                  
जयपुर। ।अशफाक कायमखानी - हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी भी तरह से अपनी सत्ता बचाये रखने व जैसे तैसे करके आपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के लिये मात्र जीते हुये विधानसभा चुनाव व अन्य समर्थक विधायको को खुश रखने के लिये उनको पूरी तरह अहमियत अन्य नेताओं पर तरजीह देते नजर आ रहे है। इसी सीलसीले के तहत 28-29 जुलाई को प्रभारी महांमत्री अजय माकन ने विधायकों से जयपुर मे फीडबैक लिया। फीडबैक लेने के समय विधायक वैद प्रकाश सोलंकी सहित कुछ विधायको ने माकन को कहा कि वो मुकम्मल फीडबैक लेने के लिये कांग्रेस के जीते हुये उम्मीदवारों के साथ साथ हारे हुये उम्मीदवारों को भी बूलाकर बात करे ताकि पूरे प्रदेश का फीडबैक आ सके।
                  जून माह मे 2018 के विधानसभा चुनाव मे हारे हुये कुछ कांग्रेस उम्मीदवार दिल्ली जाकर अपनी पीड़ा शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई भी थी। इसी तरह राजस्थान की आठ सीटो को मिलाकर बने एक लोकसभा क्षेत्र से 2019 मे लोकसभा उम्मीदवार रहे प्रदेश के सभी पच्चीस उम्मीदवार भी प्रदेश की सत्ता मे होती अपनी अनदेखी से चिंतित होकर किसी ना किसी रुप मे अपनी बात हाईकमान तक पहुंचाने मे लगे हुये है।
              जानकारी अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक बाद मे तत्तकालीन प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डेय ने कांग्रेस के सभी पच्चीस लोकसभा उम्मीदवारों को दिल्ली एआईसीसी दफ्तर मे बूलाकर हार के कारण जाने थे। तब कुछ उम्मीदवारों ने हार के लिये कड़वे अनुभव होने की बात बताने पर जीते हुये विधायकों पर सवाल खड़े किये थे। उससे विवाद खड़ा होने की आशंका के चलते उसके बाद आज तक हारे हुये लोकसभा उम्मीदवारों से संगठन व सरकार स्तर पर किसी भी तरह से अधिकृत रुप मे फीडबैक नही लिया गया है।
           पीछले माह से राजस्थान कांग्रेस के सत्ता व संगठन मे अचानक बढी राजनीतिक हलचलो के मध्य केन्द्रीय नेताओं के राजस्थान के दौरे होने से राजनीतिक पारा परवान चढा हुवा है। संगठन स्तर पर विधायकों व प्रदेश कार्यकारिणी से प्रभारी महामंत्री द्वारा जयपुर मे फीडबैक लिया गया। लेकिन उक्त दृश्य से सभी लोकसभा उम्मीदवारो का वास्ता दूर दूर तक नही था। जिसके चलते कुछ लोकसभा उम्मीदवारों ने हाईकमान को विभिन्न तरीकों से अपनी भावनाओं से अवगत कराने की कोशिशें की है।
             2018 मे प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार बनने के छ महीने बाद हुये लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के सभी पच्चीस उम्मीदवार चुनाव हारने से गहलोत सरकार की मकबूलियत पर सवाल खड़े किये गये थे। हारने वाले उम्मीदवारों मे काफी सीनियर नेता भी है जो अनेक दफा विधायक व सांसद रहने के अलावा प्रदेश व केन्द्र सरकार मे मंत्री का अनुभव भी रखने वाले है। पर चुनाव के बाद राजनीतिक तौर पर प्रदेश मे सत्ता होने के बावजूद अनदेखी होने से अधीकांश लोकसभा उम्मीदवार विचलित नजर आ रहे है। वो किसी भी रुप मे सत्ता मे भागीदारी चाहते है। लेकिन वो सभी अपने अपने क्षेत्र मे विधायकों के मुकाबले सत्ता मे भागीदारी मिलने को लेकर बेबस है। राजनीतिक तौर पर सरकारी स्तर पर उक्त हारे हुये लोकसभा उम्मीदवारों पर विधायको को पूरी तरह तरजीह मिलना देखा जा रहा है।
                 कुल मिलाकर यह है कि लोकसभा उम्मीदवारों द्वारा आपनी बात हाईकमान तक विभिन्न तरीकों से पहुंचाने के बाद लगता है कि 2023 मे फिर से प्रदेश मे सत्ता मे आने के लिये कांग्रेस हाईकमान उक्त सभी पच्चीस उम्मीदवारों को वर्तमान राजनीतिक संकट सुलझाने के बाद बूलाकर बात कर सकती है। वही सूत्र बताते है कि इनमे से अधीकांश उम्मीदवार जल्द सामुहिक रुप से बैठकर अपनी बात को वजनी बनाने की रणनीति बना सकते है।

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