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पंजाब के बाद राजस्थान मे प्रियंका गांधी का चाबुक चलने की सम्भावना से मुख्यमंत्री गहलोत सहमे! - अगस्त माह मे मंत्रीमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियों का होना करीब करीब तय बताया जा रहा है।

 



                 ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

                 पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टेन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद नवजोत सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जाने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत समर्थकों को लगने लगा है कि अब प्रियंका गांधी का चाबुक राजस्थान मे चल सकता है। सिद्धू के अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली के सिनियर पत्रकार व राजस्थान मे पत्रकारिता कर चुके शकील अख्तर के एक ट्वीट को प्रभारी महामंत्री अजय माकन द्वारा रिट्वीट करने के बाद राजस्थान कांग्रेस मे फिजा बदली बदली नजर आ रही है। अजय माकन के रिट्वीट का जवाब मुख्यमंत्री गहलोत ने सिद्धू के अध्यक्ष बनने के 18 घंटे बाद झेम्प मिटाने वाले तरीके मे नवजोत को मुबारकबाद देने के रुप मे की है।
    

            

  मुख्यमंत्री गहलोत एक तरफ सचिन पायलट के साये व प्रियंका गांधी के मजबूत होकर उभरने से घबराये हुये है। तो दूसरी तरफ वो एक एक विधायक को खुश रखने के लिये भरपूर कोशिश करने के तहत मंत्री ममता भूपेश के पति को अदर सर्विस कोटे मे आईएएस व विधायक कृष्णिया पुनिया के पति के रेलवे मे सर्विस करने के बावजूद खेल परिषद मे कोच बनाकर राजनीतिक नियुक्ति दी है। वही त्याग पत्र दे चुके विधायक हेमाराम चोधरी को मुख्यमंत्री ने अपने घर बूलाकर उनसे बात करके उनको संतुष्ट करने की भरपूर कोशिश की है। मुख्यमंत्री गहलोत किसी भी तरह से अपने पांच साल का कार्यकाल पुरा करना चाहते है।
                   बार बार दिल्ली जाकर हाजरी मारने के माहिर मुख्यमंत्री गहलोत पीछले छ महीनों से दिल्ली जाकर हाईकमान के यहां हाजरी नही लगा रहे बताते है कि वो कुछ समय पहले से इतने मदमस्त हो गये थे कि वो गांधी परिवार तक के फोन नही अटेंड कर रहे थे। प्रभारी महामंत्री अजय माकन के मार्फत मिल रहे लगातार हाईकमान के संदेशों पर कुछ अमल करने की बजाय मुद्दे पर बात ना करके गहलोत माकन को बार बार टरकाते हुये दिल्ली बैरंग लोटा रहे है।
              पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के ऐहलान के बाद राजस्थान प्रभारी महांमत्री अजय माकन द्वारा पत्रकार शकील अख्तर के ट्वीट को रिट्वीट करने के बाद जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हाईकमान के फोन अटेण्ड तक नही करने के साथ माकन को बार बार टरकाने से अब पीछे हटकर मंत्रीमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियों का करना मान लिया बताते है। गहलोत कतई नही चाहते कि पंजाब के मुख्यमंत्री की इच्छा के विपरीत सिद्दू के अध्यक्ष बनने की तरह राजस्थान मे पायलट फिर से अध्यक्ष बनकर उनके यहा मुसलत हो जाये। वैसे दिल्ली मे कांग्रेस हाईकमान गहलोत को अच्छा मुख्यमंत्री तो मानती है लेकिन सरकार रिपिटर नही मानती है। इसी छवि के कारण चुनाव आते आते गहलोत कमजोर होते चले जाते है।

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