राजस्थान मे अशोक गहलोत सरकार के गठित हुये ढाई साल पूरे होने के बावजूद अल्पसंख्यक सम्बंधित बोर्ड-निगम व आयोगो का गठन अभी तक नही हो पाया है।

 


              ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

             राजस्थान मे कांग्रेस की सरकार बनवाने मे अहम किरदार अदा करने वाले अल्पसंख्यक मतदाताओं के सम्बंधित सभी बोर्ड- निगम आयोग खाली पड़े है, वही इनके अतिरिक्त अधीकांश संवैधानिक संस्थाऐ जिनमे अल्पसंख्यक समुदाय का अब तक प्रतिनिधित्व रहता आया है उन संस्थाओं मे भी इस दफा गहलोत सरकार ने प्रतिनिधित्व नही दिया है।
           अल्पसंख्यक समुदाय के सम्बंधित बोर्ड-निगम व आयोगों का गठन नही होने से उनके काम-काज राम भरोसे चल रहे है। वही राजस्थान लोकसेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त, सुचना आयोग सहित अनेक महत्वपूर्ण संवेधानिक संस्थाओं का वर्तमान गहलोत सरकार ने गठन तो किया है,लेकिन इनमे अल्पसंख्यक समुदाय को प्रतिनिधित्व के नाम पर पूरी तरह दूर रखा गया है। राजस्थान मे सरकार की तरफ से उच्च न्यायालय मे पैरवी के लिये एक एडवोकेट जनरल व सोलह अतिरिक्त एडवोकेट जनरल की गई नियुक्तियों मे भी एक भी मुस्लिम समुदाय को पहली दफा नियुक्त नही किया गया है।
             अल्पसंख्यक समुदाय के सम्बंधित राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड, वक्फ बोर्ड, उर्दू एकेडमी, हज कमेटी, मेवात विकास बोर्ड, अल्पसंख्यक विकास एव वित्त समिति, वक्फ विकास एवं सहकारी समिति सहित अनेक अन्य बोर्ड-निगम व आयोगों का गठन अभी तक नही हो पाने से उनका काम ठप्प सा पड़ा है। इनमे से मात्र वक्फ बोर्ड के कुछ सदस्यों के चुनाव करवाने के लिये धीमी गति से अभी मतदाता सूची बनाने का प्रोग्राम शुरू हुवा है।
           अल्पसंख्यक समुदाय के सम्बंधित उक्त बोर्ड-निगम व आयोगो का गठन नही होने के साथ साथ संवेधानिक संस्थाओं के गठन मे मुस्लिम प्रतिनिधित्व नही देने के अतिरिक्त मंत्रिमंडल मे मात्र पोखरण विधायक शाले मोहम्मद को जगह दे रखी है। जिनको भी मेन स्टीम के विभागों की बजाय अल्पसंख्यक मामलात विभाग के प्रभार तक सिमित कर रखा है।


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