राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा राजस्थान सिविल सेवा के लिये जारी परिणाम मे मुसलमान फिसड्डी साबित हुये।



              ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               सीमित साधन व कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद जब जयपुर मे नानाजी की हवेली मे सामाजिक चिंतकों द्वारा राजस्थान सिविल सेवा के लिये मुकाबलाती परिक्षाओ के लिये आवासीय कोचिंग संचालित की जाती थी तब राजस्थान लोकसेवा आयोग के प्रशासनिक सेवा की परिक्षाओ के जारी परिणाम मे उचित जगह पर मुस्लिम अभ्यर्थी मुकाम पाते नजर आते थे। लेकिन उसके विपरीत पहले के मुकाबले वर्तमान समय मे साधन बढने के साथ आर्थिक तौर पर पहले के मुकाबले कुछ ठीक हालात होने के बावजूद मुस्लिम बच्चे उक्त परिणामों मे फिसड्डी साबित हो रहे है।
             राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा  राजस्थान सिविल सेवा के लिये 2018 की वैकेंसी के लिये मुख्य परीक्षा मे उत्तीर्ण 2010 अभ्यर्थियों के साक्षात्कार 22-मार्च से शुरू हुये थे।इस दौरान 14अप्रेल से 1-जून तक कोराना काल व लोकडाऊन के चलते साक्षात्कार स्थगित रहै। 21-जून से 13-जुलाई तक आयोग ने फिर साक्षात्कार लेकर कल परिणाम जारी किये। उक्त परिणाम के बाद राज्य को 1051 नये अफसर मिलेगे।
           देर रात जारी परिणाम के बाद बनने वाले कुल 1051 अधिकारियों मे अब तक की सूचना के मुताबिक करीब सात मुस्लिम अभ्यार्थी अपनी जगह बना पाये है। जिनमे से किसी के भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा RAS व राजस्थान पुलिस सेवा RPS मे जगह पाता नजर नही आ रहा है।
    


         

 जानकारी अनुसार कोटा के सादाब 171वी रैंक, वर्तमान मे फतेहपुर शेखावाटी मे तहसीलदार पद पर तैनात सीकर के खीरवा गावं निवासी इमरान खान पठान 268 वी रैक, अलवर के ऐजाज खान ने 374 वी रैंक, अलवर जिले के लक्ष्मनगढ के अमन खान ने 512 वी रैंक, चूरु की बहन शाहीन ने 616 वी रैक, सरदारशहर के आकिब खान ने 650 वी रैंक व  इनके अलावा कोटा की बहन नाहीद ने भी अपनी जगह बनाई बताते।
               कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान सिविल सेवा के देर रात जारी परिणामों पर मुस्लिम समुदाय के चिंतको को निजी या सामुहिक तौर उक्त विषय पर सिर जोड़कर मनन व मंथन करना होगा कि वो उनके बच्चे आज मुकाबलाती परिक्षाओ मे कहा खड़े है। जब हजारों बच्चे परिक्षाओ मे भाग लेगे तो उनमे से सेंकड़ो बच्चे सफल भी होगे। जब सो-पचास बच्चे परिक्षाओ मे भाग लेगे तो एक अंक मे ही अभ्यर्थी सफल होगे।

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