सीकर शहर मे बुधवार को घटी दो लूट की घटनाओ से शहर के मुस्लिम समुदाय को सबक लेना चाहिए।

 
                 ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।

             हालांकि अपराधियों को कोई जाति-धर्म मे बांटा नही जा सकता वो केवल अपराधी होता है।। लेकिन अपराधी द्वारा अपराध की घटनाओं के घटित होने से उनके समुदायव बिरादरी की आने वाली पीढी व उसके इर्दगिर्द रहने वालो पर उसका कुप्रभाव जरुर पड़ता है। पीछले कुछ दिनो से सीकर के अखबारत मे अजब समाचार छपते यह रहते है कि जिनमे इसी हफ्ते नकबजनी के आरोप मे शहर के युवक पकड़े जाने पर वो जाति कायमखानी बता देते है। जिससे देश के लिये शहीद होने वाली व नैतिकता को सर्वोपरि मानने वाली "कायमखानी बिरादरी" पर भी सवाल खड़े होने लगते है। जबकि उन अपराधियों के कायमखानी होने पर भी सवाल खड़े किये जाते है।
             बुधवार को शहर मे घटी घटनाओं मे से सरेआम होने वाली दो लूट की रिपोर्ट होने वाली घटनाओं पर नजर डाले तो शहर के मुस्लिम समुदाय को उनपर गम्भीरता से सोचना होगा वरना इस तरह के अपराधियों की तादाद मे इजाफा होता नजर आयेगा जो समाज-बिरादरी को अंधेरे की तरफ घकेल सकता है।
    .       सीकर शहर के चांदपोल गेट के बाहर अपने गावं जाने के लिये बस के इंतजार मे खड़ी एक महिला का मंगलसूत्र तोड़कर शिव कालोनी निवासी अकबर नामक युवक के ले जाने पर वो पकड़ा जाता है। भीड़ द्वारा पकड़े जाने के बाद पुलिस को सोंपने पर अपराधी अकबर हवालात की हवा खाने पहुंच जाता है। इसी तरह दुसरी घटना मे सीकर शहर के बजरंग कांटा क्षेत्र से साहिल व सादिक रंगरेज नामक दो युवक एक राह चलते व्यक्ति से बाईक पर मोबाईल छीनकर भाग जाते है। जांच के बाद पुलिस द्वारा वो दोनो अपराधी दबोचे जाते है ओर हवालत का सफर करने चले जाते है।
            अपराधियों की तादाद बढने के लिये लोकडाऊन- बेरोजगारी- महंगाई या गरीबी जैसे किसी भी शब्द को बोलकर बहाना बनाकर बचाव करने की कोशिश की जाये। लेकिन वास्तविक बात यह है कि युवाओं के महंगे शौक व परिवार की पकड़ से दूर होने के कारण शहर के मुस्लिम समुदाय का युवाओं का एक हिस्सा शराब व नशाखोरी के साथ साथ विभिन्न तरह के अपराधों की तरफ आकर्षित होने लगा है।

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