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मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद यूपी के जतिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा। - दोनो नेताओं के पिताओ को कांग्रेस ने सत्ता-संगठन मे अहम पद दिये थे। उनके बाद उनके उक्त दोनो पुत्रो को भी अहम पद दिये।

 



            ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

                 पिता माधवराव सिंधिया को कांग्रेस मे सालो तक पार्टी नेतृत्व द्वारा खास अहमियत मिलते रहने के साथ साथ उन्हें सरकार व संगठन मे अहम ओहदे दिये जाते रहे। उसके बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी सरकार व संगठन मे शीर्श पर रखा। लेकिन कांग्रेस का बूरा समय आने पर वो झट से कांग्रेस की घोर विरोधी पार्टी भाजपा मे मामूली से लालच पर जा मिले।
              सिंधिया की ही तरह जतिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद को राजीव गांधी के समय कांग्रेस ने सब कुछ दिया था। मगर 22 साल पहले सोनिया गांधी के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा। लेकिन सोनिया ने उनके न रहने पर पत्नी कांता प्रसाद को टिकट दिया। वो हार गईं। फिर बेटे जितिन प्रसाद को टिकट दिया। मंत्री बनाया। दो साल पहले फिर जतिन ने धमकी दी कि वो भाजपा जा रहे हैं। रोका, मनाया। फिर 23 लोगों के साथ मिलकर अस्पताल में भर्ती सोनिया को पत्र लिखा कि चुनाव करवाओ। कांग्रेस ने महासचिव बनाकर बंगाल का इन्चार्ज बना दिया। मगर खुश फिर भी नहीं हुए। अब जाकर सिंधिया की तरह आज भाजपा ज्वाइन कर ली। सिंधिया की तरह ही जतिन भी राहुल, प्रियंका से कम किसी नेता से बात नहीं करते थे।
              हालांकि सिंधिया व जतिन जैसे कितने ही दिग्गज नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा मे गये व जायेगे। लेकिन उन्हें वो पद व सम्मान भाजपा मे कतई नही मिल पायेगा जो कांग्रेस मे मिला करता था। पीछले सात आठ साल से भाजपा चुनाव होने वाले प्रदेश मे गैर भाजपा दलो के नेताओं को लालच व दवाब मे लेकर भाजपा मे शामिल करके अन्य दलो पर राजनीतिक दवाब बनाने की कोशिशें करती रही है। वर्तमान भाजपा मे 65 से अधिक सांसद गैर भाजपा दलो से आये हुये है।
             बंगाल चुनाव के पहले भी भाजपा ने रणनीति के तहत तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य दलो के विधायकों व नेताओं को भाजपा जोइन करवा कर दवाब बनाया था। बंगाल मे भाजपा के सभी जीते विधायकों मे मात्र तीन विधायक मूल भाजपा के वर्कर है बाकी सभी दुसरे दल से आये हुये है।
       2022 मे होने वाले चुनाव मे यूपी, हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रदेशों के अनेक गैर भाजपा दलो के नेताओ को भाजपा नेतृत्व एक अभियान के तहत भाजपा जोइन करवायेगे। जिनमे कांग्रेस नेता अधिक होगे। उसके बाद 2023 मे राजस्थान मे भी यही खेल शुरू होगा।
         कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस मे सत्ता के लालची व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नजदीकी नेताओं की लम्बी चोड़ी फौज पहले से ही मोजूद रही है। वो कांग्रेस के सत्ता मे रहने के समय सत्ता सुख पाने के लिये कांग्रेस का गुणगान करते थे। वोही नेता अब भाजपा की नावं मे बैठने को उतावले नजर आ रहे है।

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