ब्लेक फंगस को देखते हुए आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की गुणवत्ता, मापदण्ड और उपयोग के दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाए-एसीएस माइंस - डा. अग्रवाल

 


         ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               राज्य में ब्लेक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग करते समय निर्धारित मापदण्डों व निर्देशों की पालना सुनिश्चित किया जाना आवश्यनक है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस और राज्य सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय कोर ग्रुप के अध्यक्ष डा. सुबोध अग्रवाल ने कोर ग्रुप की बैठक के दौरान बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी के दौरान बिना पूर्ण जानकारी के आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग और उसके दुष्प्रभाव से बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों को देखते हुए चिंता व्यक्त करते हुए यह निर्देश दिए हैं। वीसी के दौरान मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग की आवश्यरक जानकारी लोगों तक पहुंचाने की आवश्यककता है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने निर्देश देते हुए कहा कि आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर का साबधानी व आवश्य क  दिशानिर्देशों की पालना करने से ही रोगी को पूरा लाभ और संभावित संक्रमण से बचाया जा सकता है।
एसीएस डा. सुबोध अग्रवाल बुधवार को प्रदेश में आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की आवश्ययकता, उपलब्धता और विदेशों से आ रहे आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की प्रगति समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ई-उपकरण पोर्टल के माध्यम से आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की खरीद की जा रही है और उनमें निर्धारित मानकों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि दानदाताओं द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों व घरेलू उपयोग के लिए खरीदे जा रहे आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों की खरीद व उपयोग के समय भी निर्धारित मानकों और उसके उपयोग के लिए जारी दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जानी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने भी इसके लिए गाईड लाइन जारी की है।
एसीएस डा. अग्रवाल ने बताया कि आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर एक विद्युत चालित चिकित्सा उपकरण है जिसके द्वारा आसपास की हवा से आक्सीजन बनाया जाता है। इस उपकरण के माध्यम से रोगी को बिस्तर पर ही केनुला के माध्यम से आक्सीजन उपलब्ध कराया जाता है। आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर द्वारा 5 लीटर प्रति मीनट का फ्लो होना आवश्यटक है और इसमें 90 प्रतिशत से अधिक की शुद्धता व निरंतरता के साथ प्रवाह होना चाहिए। इस तरीके से आमतौर पर 21 प्रतिशत आक्सीजन होता है। उन्होंने बताया कि आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर में फिल्टर बोटल में डिस्टिल वाटर का ही उपयोग किया जाए। इसके साथ ही उपयोग के दिशानिर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके।
डा. अग्रवाल ने कहा कि निर्धारित मानकों के अनुसार आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर नहीं होने और आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग नहीं करने से ब्लेक फंगस जैसे संभावित संक्रमण होने की संभावना अधिक हो जाती है और इससे रोगी को लाभ होने के स्थान पर गंभीर संक्रमण की स्थिति होने के हालात भी कई बार बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान आक्सीजन की आवश्यिकता को देखते हुए लोगों द्वारा घरेलू उपयोग के लिए भी आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों की खरीद की जा रही है। उन्होंने बताया कि आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर खरीदते समय उसके साथ उपयोग मेन्यूअल, मेंटिनेंस मेन्यूअल,  डिस्पले बोर्ड,  फिल्टर बोटल, डिस्टिल बोटल आदि आवश्यसक सभी उपकरण व जानकारी से संबंधित सामग्री होना जरुरी है। उन्होने सभी चिकित्सा संस्थानों व घरेलू उपयोग में आवश्येक  निर्देशों की सख्ती से पालना पर जोर दिया है।


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