राजस्थान मे आज के दिन को काले दिवस के रुप मे मनाते हुये केन्द्रीय सरकार का विभिन्न तरह से विरोध किया गया।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर/सीकर।
संयोग किसान मोर्चा के दिल्ली की सीमाओं पर तीन काले कृषि कानूनों के वापस लेने की मांग को लेकर धरना दे रहे किसानों के आंदोलन को आज छ महिने होने के उपरांत आज का दिन काला दिवस के रुप मे मनाया।इसके तहत लोगो के अपने घरो पर काले झंडे लगाकर, प्रधानमंत्री का पुतला दहन करने के अलावा सभाऐ करके विरोध भी जताया।
कृषि कानूनो के खिलाफ धरना दे रहे किसानों के छ महिने होने पर संयुक्त किसान मोर्चा व जन संगठनों के द्वारा आज 26 मई को सीकर मे भी काला दिवस मनाते हुए किसान सभा, सीटू व एसएफआई द्वारा किशनसिंह ढाका भवन से कलेक्ट्रेट तक प्रधानमंत्री के पुतले की शव यात्रा निकाल कर आमसभा करके काला दिवस मनाया।
काला दिवस पर आयोजित उक्त सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता कामरेड किशन पारीक ने कहा कि किसान आंदोलन को आज पूरे 6 माह का समय हो गया है और 400 किसानों की शहादत के बावजूद मोदी सरकार हठधर्मिता का रुख अपनाए हुए है हम मांग करते हैं कि तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द किया जाए, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दी जाए और प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिया जाए ।
सीटू जिला महामंत्री सोहन भामू ने कहा कि हम कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा मजदूर विरोधी श्रम संहिता बनाने का विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि मजदूरों पर हमले बंद किए जाएं और बैंक, बीमा, रेलवे तथा रक्षा क्षेत्र में निजीकरण की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाए।
भवन निर्माण मजदूर यूनियन सीटू के जिला महामंत्री बृजसुन्दर जांगिड़ ने सभी निर्माण मजदूरों को सात हजार पांच सो रूपये प्रतिमाह की सहायता देने, छात्रवृत्ति व अन्य सहायता योजना का पैसा जारी करने की मांग करते हुए और राहत पैकेज के जारी करने की मांग की है।
सभा को पुर्व विधायक पेमाराम, संयुक्त किसान मोर्चा के दिनेश जाखड़, बी.एल.मील, राजस्थान रोड़वेज सीटू के सांवरमल यादव,हाथ ठेला यूनियन सीकर अध्यक्ष रुघवीर बारेठ, एसएफआई प्रदेशाध्यक्ष सुभाष जाखड़,सलीम चौहान सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
सभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन करते हुए आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के अलग अलग हिस्सों मे किसान व जनसंगठनों द्वारा आज के दिन को काला दिवस के रुप मे मनाते हुये विभिन्न तरह से केन्द्रीय सरकार का विरोध किया गया।
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