चौधरी साहब का जाना मेरी व्यक्तिगत हानि - शुएब चौधरी

 


 

राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख श्री चौधरी अजित सिंह के निधन की खबर सुनकर गहरे सदमे में हूं। उनका जाना मेरी व्य्कतिगत हानि है क्योंकि इस परिवार से हमारा तीन पुश्तों का एक गहरा नाता रहा है।

मेरे दादा चौधरी लताफ़त हुसैन मरहूम और स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी राजनीति में समकालीन थे और गोविंद बल्लव पंत सरकार में 1946 से लेकर 1957 तक एक साथ मंत्री रहे। मेरे नाना चौधरी सख़ावत हुसैन एक लंबे समय तक चौधरी चरण सिंह और अजीत सिंह के साथ रहे और लोकदल से कई बार विधायक रहे और पार्टी के अलग अलग पदों पर भी रहे।


शुएब चौधरी और अजित सिंह

राजनीतिक एंव पारिवारिक रिश्तों का यह आलम था कि 1972 में जब चौधरी चरण सिंह जी मेरी माँ की शादी में किठौर आए तो अपनी तमाम राजनीतिक व्यस्ताओं के बावजूद दिन भर शादी में रहे और वहां एक पिता की हैसियत से अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई। चौधरी अजित सिंह जी भी जब 1986-87 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे थे तो अपने एक राजनीतिक दौरे से समय निकाल कर मेरी माँ से मिलने हमारे बछरायूँ आवास पर आए और उन्हें शगुन दिया। उनके इस भाव प्रदर्शन की खुशबू आज भी हमारे जेहनों में ताज़ा है।

मेरा खुद का इस परिवार से एक गहरा जज़्बाती लगाव रहा है। मेरी अजीत सिंह जी से कई बार मुलाक़ात हुई। हमेशा बहुत स्नेह से मिलते थे। वह एक बहुत ही मधुरभाषी और पढ़े लिखे इंसान थे। नाम जिनका भी आता हो लेकिन सच तो यही है कि अजीत सिंह जी देश के पहले computer Literates में थे।

शोक की इस घड़ी में मेरी सारी संवेदनाएं भाई जयंत चौधरी और उनके परिवार के साथ हैं। इस व्यक्तिगत क्षति से उबरने में मुझे भी काफी समय लगेगा।
ईश्वर परिवार को सब्र दे… आमीन।

 

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