सांसद असदुद्दीन आवेसी की एआईएमआईएम व पोपुलर फ्रंट के प्रभाव से मुकाबले को लेकर कांग्रेस ने राजस्थान मे अपनी मुस्लिम लीडरशिप व संस्थाओं को आगे किया।


     हेदराबाद के बाहर एआईएमआईएम जयभीम जयमीम के गठबंधन को लेकर चुनाव लड़ती रही है। राजस्थान मे जयभीम जयमीम व जय तेजाजी के गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश मे होगी।
              

             ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               बिहार विधानसभा चुनाव व अहमदाबाद स्थानीय निकाय चुनाव मे एआईएमआईएम की सफलता के बाद इत्तिला मिल रही है कि अपने ग्रांटेड वोटबैंक मुस्लिम समुदाय मे टूटन होने से चिंतित कांग्रेस ने आवेसी के बढते प्रभाव को रोकने के लिये अब पहले सोनिया गांधी के विदेशी मूल की बताकर कांग्रेस छोड़कर अलग दल मे जाकर वापस कांग्रेस मे आये बिहार के रहने वाले पूर्व सांसद को इस बाबत नेशनल लेवल की जिम्मेदारी देने की चर्चा है। वही उसके व कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार जिन जिन राज्यों मे सांसद आवेसी के जाकर चुनाव लड़ने की चर्चा है उन राज्यो की तरह राजस्थान मे भी कुछ मुस्लिम संस्थाओं को एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताकर उनके प्रभाव को कमजोर करने की मंशा से आगे कर दिया है। जो समय समय पर मिटींग व सम्मेलन करके एआईएमआईएम, पोपुलर फ्रंट के आने को सेक्युलर ताकतो को नुकसान होने का भ्रमजाल फैलाने की भरपूर कोशिश करेगे। इस सीलसीले मे पीछले दिनो जयपुर के मुस्लिम मुसाफिर खाने मे एक सामाजिक संस्था ने मंत्री व कांग्रेस विधायकों की उपस्थिति मे अपने चहतो की एक मीटिंग करके अपना काम शुरू कर दिया है। इस तरह के कार्यक्रमो को अलग से आर्थिक सहयोग भी किये जाने का खाका भी तैयार किया बताते है।
                हालांकि राजस्थान मे एआईएमआईएम को कायम करने पर मंथन चल रहा है। बैठको का दौर जारी होने के बावजूद एआईएमआईएम की नेशनल लीडरशिप को उनके कायदे अनुसार अभी तक प्रदेश की कमान सोंपने के लिये फिट लीडर राजस्थान मे अभी तक नही मिल पाया है। एआईएमआईएम के सूत्र बताते है कि उनकी उच्च लीडरशिप चाहती है कि राजस्थान मे आर्थिक व विचारों के तौर पर काफी मजबूत व आला तालीम याफ्ता जाना पहचाना चेहरे की उनको राजस्थान के लिये तलाश है। जो पार्टी को मजबूती के साथ वहां खड़ा कर सके जहाँ जहा से पार्टी को जीत की सम्भावना अधिक नजर आती हो। चेहरा बेदाग होने के साथ साथ राजनीति के उतार व चढाव को ठीक से समझ रखने वाला भी हो।
        एआईएमआईएम के सूत्र बताते है कि पार्टी लीडरशिप के पास राजस्थान की कमान सोंपने के लिये अनेक नाम विचार्थ है। जिनमे एक नाम एक वर्तमान विधायक का भी है जो युवा होने के साथ साथ आर्थिक व तालीमी लिहाज से भी काफी मजबूत है। पर अभी तक वो विधायक उक्त पद की जिम्मेदारी लेने के लिये तैयार नही हुये है। उक्त विधायक के अलावा रिटायर्ड आला फोजी अधिकारियों के साथ साथ कुछ अन्य समाजी व सियासी लोगो के नाम पर भी मंथन जारी बताते है।
             कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान कांग्रेस की दिग्गज लीडरशिप मे एक तरफ एआईएमआईएम के राजस्थान आने की खबर से हलचल मची हुई है। वही हाड़ोती मे स्थानीय निकाय चुनाव मे पोपुलर फ्रंट व जमाते इस्लामी की राजनीतिक विंग वेलफेयर पार्टी आफ इण्डिया के नाम पर कुछ पार्षद जीतने की खबर को मिलाकर देखने से नींद उड चुकी है। कांग्रेस लीडरशिप अच्छे से जानती है कि राजस्थान मे दो दलीय व्यवस्था होने के चलते भाजपा को हराने मुस्लिम मत बिना कुछ किये उनकी तरफ खींचा आता है। लेकिन तीसरा विकल्प मिलते ही मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को छोड़ते देर नही करता है। तीसरे विकल्प की इसी आहट को भांप कर कांग्रेस ने एआईएमआईएम सहित अन्य मुस्लिम राजनीतिक दलो के प्रभाव को शुन्य या कम करने के लिये अपनी मुस्लिम लीडरशिप व सामाजिक संस्थाओं को आगे कर दिया है। जो मिटिंग, सम्मेलन व प्रैस ब्यानो के मार्फत राजस्थान आकर चुनाव लड़ने वाले मुस्लिम लीडरशिप (नेतृत्व वाले राजनीतिक दलो को भाजपा की बी टीम बताने के साथ साथ उनके पक्ष मे वोट करने को भाजपा को फायदा पहुंचाने का बताते हुये भ्रमजाल फैलाने का प्रयास करने लगे है। साथ ही सूत्र बताते है कि एआईएमआईएम मात्र एक हेदराबाद को छोड़कर बाकी अन्य सभी जगह जयभीम व जयमीम का गठजोड़ बनाकार चुनाव लड़ती रही है। वो राजस्थान मे इससे बढकर जयभीम जयमीम के साथ साथ जय तेजाजी का गठबंधन बनाकर आगे बढना चाहती है।

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