राजस्थान की राजनीति मे सचिन पायलट डाल डाल तो अशोक गहलोत पात पात चल रहें है। - इस किसान सम्मेलन मे दूर दराज से पायलट समर्थक विधायकों ने शिरकत की बल्कि मुख्यमंत्री समर्थक दो मंत्री व दौसा जिले के विधायक ममता भूपेश व परसादी लाल मीणा ने शिरकत नही की।



            ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

               मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनने से पहले व सरकार बनने के बाद मे करीब डेड साल तक प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डे से मिलकर कांग्रेस मे ही अपने मुकाबिल नेता तत्तकालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को पहले विधानसभा उम्मीदवार चयन मे मात दी। फिर चुनाव बाद निर्दलीय विधायकों के समर्थन को अपने पक्ष मे करके दिल्ली हाईकमान से मुख्यमंत्री पद का अपने पक्ष मे फैसला करवा कर मुख्यमंत्री बन गये। गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद पायलट व गहलोत मे फिर शह व मात का खेल शुरू हु्वा ओर मौका लगते ही गहलोत ने पाण्डे से मिलकर पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा कर अपने खास व दबेल मे रहने वाले गोविंद डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनवा लिया। इसके साथ साथ पायलट व उसके समर्थक मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाकर बाजी अपने हाथ मे रख ली।
            प्रदेश अध्यक्ष व मंत्री पद से हाथ धोने के बावजूद सचिन पायलट ने प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डे को तो बदलवा लिया लेकिन उनकी जगह बने प्रभारी महामंत्री अजय माकन का झुकाव भी जब पायलट की बजाय गहलोत की तरफ अधिक होता साफ नजर आने से पायलट समर्थकों के माथे पर सीकन बढने लगी। इसी के मध्य केन्द्र सरकार द्वारा कृषि सम्बन्धित लाये तीन काले कानून को रद्द करवाने को लेकर चल रहे किसान आंदोलन परवान चढा तो पायलट समर्थकों ने राजस्थान मे जगह जगह किसान आंदोलन करके उसके बहाने प्रदेश भर मे जगह जगह जाने का प्लान बनाकर अवल मे पांच फरवरी को पायलट समर्थक विधायक मुरारी लाल मीणा ने पायलट के मुख्य अतिथ्य मे दौसा मे विशाल किसान सम्मेलन आयोजित कर डाला। उक्त किसान सम्मेलन मे पायलट समर्थक अधीकांश विधायक मोजूद रहे एवं आमजन की भारी तादाद जमा होने से सफल माने जाने वाले उक्त दौसा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये पायलट ने लोगो से उक्त तरह के किसान सम्मेलन प्रदेश भर मे आयोजित करने की अपील करके उनमे जाने का इशारा क्या किया कि मुख्यमंत्री गहलोत व उनके समर्थकों के यह सूनकर व दौसा सम्मेलन मे उम्मीद से काफी अधिक भीड़ आने से कान खड़े हो गये।
              पांच फरवरी को पायलट समर्थक विधायक मुरारी लाल मीणा द्वारा दौसा मे आयोजित किसान सम्मेलन की सफलता के बाद पायलट समर्थक उत्साहित होकर राज्य भर मे इसी तरह के किसान सम्मेलन आयोजित कर उनमे पायलट को मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित करने का प्लान बना ही रहे थे कि उसकी आहट को सूनकर मुख्यमंत्री गहलोत ने केन्द्रीय भाजपा सरकार से खासा नाराज होते किसान वर्ग मे पायलट के दौरे होने से उनकी मकबूलियत मे ओर इजाफा होने से पहले ही प्रभारी महामंत्री अजय माकन के हाथो कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राजस्थान आने को आमंत्रित करके उनसे किसान सम्मेलनो को सम्बोधित करने के लिये 12 व 13 फरवरी का समय भी तय करवा लिया।
                 कुल मिलाकर यह है कि राहुल गांधी का 12 व 13 फरवरी को राजस्थान आकर किसानों को सम्बोधित करने के बने कार्यक्रम के पहले व बाद मे सचिन पायलट समर्थकों द्वारा राज्य मे किसी भी तरह से किसान सम्मेलन करना मुश्किल ही नही एक दफा तो नामुमकिन सा हो गया है।मुख्यमंत्री गहलोत सभी विधायकों व विधानसभा चुनाव मे रहे उम्मीदवारों सहित दिग्गज नेताओं को राहुल गांधी की मोजूदगी मे 12 व 13 फरवरी को होने वाले किसान सम्मेलनों मे भारी भीड़ लाने को पाबंद कर सकते है। यानि सचिन पायलट डाल डाल तो मुख्यमंत्री गहलोत राजस्थान की कांग्रेस राजनीति मे पाय पात चल रहे है।


 

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