राजस्थान मे किसान महापंचायतों के बहाने गहलोत-पायलट व संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को साधने मे लगे। जबकि आंदोलनों के चलते किसान वर्ग की भाजपा से नाराजगी बढने लगी। - मुख्यमंत्री गहलोत राहुल गांधी का चार जिलो मे दो दिवसी दौरे मे किसान पंचायत करवाने के बहाने पायलट की अनदेखी दिखाने मे कामयाब रहे।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
केन्द्र सरकार द्वारा कृषि सम्बंधित लाये गये तीन काले कानूनो को लेकर अपने हक व हित के प्रति जागरूक होते किसान वर्ग द्वारा आंदोलन करने के सीलसीले मे दिल्ली की सीमाओं पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लम्बे समय से डटे रहकर आंदोलन की धार बढाने से राजस्थान की राजनीति मे भी एक तरह से उभाल ला दिया है। किसानों को साधने के लिये एक तरफ कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रदेश के सभी जिलो मे अपने व समर्थकों के दम पर किसान महापंचायत करने का सीलसीला शुरू कर दिया है। वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्वयं के बल पर भीड़ नही जुटने के कारण उन्होंने अपने राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी का राजस्थान के चार जिलो मे 12 व 13 फरवरी के दो दिवसीय दौरा करवा कर किसान पंचायते की है। वहीं इसके विपरीत संयुक्त किसान संगठन मोर्चा ने भी प्रदेश मे किसान महापंचायते करने की घोषणा कर दी है। शूरुआत मे 23-फरवरी को सीकर व 02 मार्च को नागौर मे किसान महापंचायत करने की घोषणा की है जिसको किसान नेता रकेश टिकेत व योगेन्द्र यादव सहित अनेक किसान नेता सम्बोधित करने आ रहे है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा प्रदेश के सभी जिलो मे किसान महापंचायत करने के ऐहलान करके प्रदेश भर मे जाने के सीलसीले के तहत दौसा व भरतपुर जिलो मे किसान महापंचायत करने से नई हलचल मचाई है। उन आयोजित किसान पंचायतों मे भारी जनसैलाब के उमड़ आने व पायलट की बढती जन लोकप्रियता को भांपकर मुख्यमंत्री गहलोत ने आनन फानन मे कांग्रेस नेता राहुल गांधी का दो दिवसीय राजस्थान दौरा करवा कर कुछ सम्बलने की कोशिश की है। लेकिन सत्ता व संगठन की भरपूर कोशिश के बावजूद राहुल गांधी की हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, अजमेर व नागौर जिले की सभाओ मे उम्मीद के मुताबिक भीड़ नही जूट पाने के कारण गहलोत समर्थक आगे के कारक्रमो व भविष्य को लेकर कुछ सतर्क नजर आ रहे है। जबकि राहुल गांधी के उक्त दो दिवसीय दौरे मे मुख्यमंत्री खेमे द्वारा भीड़ जमा करने से अधिक कोशिश सचिन पायलट व उनके समर्थकों को कार्यक्रमो से अलग थलग रखने मे अधिक दिलचस्पी दिखाई। चर्चा है कि सभी तरह की तैयारी हो जाने के बावजूद कुछ घंटो पहले परबतसर मे राहुल गांधी की सभा इसलिए रद्द करवाई गई कि वहां के विधायक गावड़ीया पायलट समर्थक है। जिन्होंने कांग्रेस नेताओं के अलावा पायलट के चित्र वाले पोस्टर व होर्डिंग भी बडी तादाद मे लगाये बताते।
राहुल गांधी के उक्त दौरे मे मुख्यमंत्री गहलोत खेमे ने पायलट को दरकिनार होते दिखाने व राहुल गांधी की नजर मे चढने मे कुछ हदतक कामयाबी जरूर पाई है। लेकिन पायलट द्वारा प्रदेश भर मे आयोजित की जा रही किसान महापंचायत मे उनको सूनने को उमड़ते जनसैलाब का जवाब उनके पास नही बन पा रहा है। सत्ता व संगठन की भरपूर कोशिश के बावजूद राहुल गांधी की सभाओ मे उम्मीद के अनुसार भीड़ नही आने का प्रमुख कारण मुख्यमंत्री गहलोत खेमे द्वारा दौरे मे सचिन पायलट की उपेक्षा करने पर अधिक फोकस करना प्रमुख कारण होने की बात एक खेमा राहुल गांधी तक पहुंचाने मे लगा है।
पीछले करीब तीन महीने से किसान आंदोलन के जौर पकड़ने के बाद राजस्थान के किसान वर्ग का भाजपा से तेजी के साथ मोहभंग होने को भांप कर रालोपा नेता सांसद हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है। दूसरी तरफ राजस्थान का किसान वर्ग देश मे सबसे अधिक महंगा पेट्रोल-डीजल व बिजली होने के कारण गहलोत सरकार से भी खुश नजर नही आ रहा है। देखे तो किसान वर्ग गहलोत से व्यक्तिगत तौर पर भी कभी खुश नही रहा है। इसलिए गहलोत अपने आपको बचाये रखने के लिये राहुल गांधी का उक्त दौरा करवा कर खड्डे मे मिट्टी डालने का काम जरूर किया है।
हालांकि यह सत्य है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि सम्बन्धित लाये गये तीन काले कानूनों को लेकर जबरदस्त रुप से हो रहे किसान आंदोलन से किसान वर्ग का भाजपा से मोहभंग होने का अभी तक भाजपा का केडर अहसास कर नही पाया है या वो होने का दिखाना नही चाह रहा है। लेकिन यह सत्य है कि भाजपा की जीत के लिये केडर के अलावा जो मत उन्हें मिले थे उनमे किसान वर्ग के मत बहुत अधिक थे। जिन मतो मे भाजपा के प्रति नाराजगी पनपना उसके लिये झटका लगना साबित हो सकता है।।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन मे गर्मी बढने के साथ साथ किसानों की तादाद बढने लगी है।वही संयुक्त किसान मोर्चा के तहत दिल्ली की सीमाओं के अतिरिक्त देश भर की तरह राजस्थान के टोल प्लाजो पर किसान धरना लगा के बैठने के साथ साथ टोल मुक्त करने का सीलसीला परवान चढने लगा है। इसके साथ साथ प्रदेश भर मे संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जिला किसान महापंचायत आयोजित होने व उनमे किसान नेताओं का आकर सम्बोधन करने से माहोल काफी गरमाने लगा है। राजस्थान के अलवर के बाद 23 फरवरी को सीकर मे व 2 मार्च को नागौर मे संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर पर किसान महापंचायत होने का तय होकर तैयारी शुरु हो चुकी है। उक्त सम्मेलनों मे किसान नेता राकेश टिकेत, योगेन्द्र यादव, अमरा राम व राजाराम मील सहित अनेक किसान नेताओं के आकर सम्बोधन करने का तय हो चुका बताते है। उक्त आयोजित होने वाले किसान सम्मेलनो को लेकर किसान वर्ग मे काफी उत्साह होना देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि कृषि सम्बंधित लाये गये तीन कानूनो को लेकर चल रहे किसान आंदोलन से राजस्थान के किसान वर्ग मे भाजपा के प्रति नाराजगी अंदर ही अंदर काफी तेजी के साथ बढने लगी है। दिल्ली की सीमाओं के बाद अब राजस्थान मे आयोजित हो रही किसान महापंचायतों से किसान वर्ग मे भाजपा की बढती नाराजगी मे इजाफा ही होगा। अगर होने वाली किसान महापंचायतों का सीलसीला लम्बा चला तो प्रदेश मे भाजपा व कांग्रेस के अलावा आगे चलकर एक नया राजनीतिक विकल्प भी पैदा हो सकता है।जिस विकल्प मे किसान-दलित-आदिवासी-पिछड़ा व अल्पसंख्यक समुदाय का गठजोड़ सामने आ सकता है।
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