मुस्लिम अधिकारी अगर अपने पूत्र-पूत्रियो के साथ साथ एक अन्य की भी गाईड व मदद करके सिविल व न्यायीक सेवा मे जाने की राह हमवार करते तो आज फीजा बदली बदली नजर आती।

 



                   

       ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

                    हालांकि राजस्थान केडर मे पदस्थापित रहने वाले  सेवानिवृत्त व मोजुदा समय मे प्रशासनिक-पुलिस व न्यायिक सेवा मे कार्यरत आला मुस्लिम अधिकारी अपनी सरकारी सेवा के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहते हुये अपने पूत्र पूत्रियो के साथ साथ कम से कम अपने इर्द गिर्द रहने वाले मात्र एक एक बच्चे को समयानुसार गाईड करने के अलावा अगर आवश्यकता हो तो अपना पेट काटकर उस जरूरतमंद बच्चे की पढाई या कोचिंग मे आर्थिक मदद करने का बीड़ा उठाने की तरफ कदम बढाते तो आज बदहाली का दंश झेल रही मिल्लत की फीजा बदली बदली नजर आती। हां कुछ अधिकारियों द्वारा इस तरफ कदम बढाये गये है जिनके परिणाम सकारात्मक भी आये है। पर वो परिणाम ऊंट के मुहं मे जीरे समान है।
               राजस्थान मे पदस्थापित अनेक आला अधिकारियों ने प्रशासनिक-पुलिस व न्यायिक सेवा मे रहकर व रहते हुये कर्तव्यनिष्ठ का प्रयाय होने का स्पष्ट प्रमाण पेश किया है। जिनमे से अधीकांश ने अपने पूत्र पुत्रियों की ढंग से परवरिश कर उनको ढंग से सेटल करने की भरसक कोशिशे भी की है। अधीकांश के बच्चों मे से एक एक बच्चा उक्त सेवाओं मे अपनी जगह भी बनाई भी है।राजस्थान से अब तक पांच आनरेबल बन चुके है। जिनमे से दो आनरेबल मे से एक के पूत्र व एक की पूत्री अपने पीता की तरह न्यायिक सेवा की अधिकारी है। जबकि एक के एक पुत्र प्रशासनिक सेवा का अधिकारी एवं अन्य के बेटे अच्छी वकालत व बेटीया भी अन्य फिल्ड मे अच्छे मुकाम पर है। एक आनरेबल ने तो अपने रिस्तेदार का भी ठीक से मार्गदर्शन व आर्थिक सम्भल दिया जिसका परिणाम यह निकला कि उनके पूत्र के साथ साथ उनका वो नजदीकी रिस्तेदार भी न्यायिक सेवा मे आला अधिकारी के पद पर पदस्थापित है। इसी तरह एक जैल सेवा के रहे आला अधिकारी की पूत्री न्यायिक सेवा की अधिकारी है। इसके अलावा पुलिस सेवा के रहे एक आला अधिकारी के पुत्र राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त रहे एक अधिकारी की पूत्री भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी व दुसरे सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के पूत्र राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है के साथ साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अन्य एक अधिकारी के पूत्र भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है। इसी तरह प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त एक अधिकारी के पूत्र केरल केडर मे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है।
            हालांकि सेवानिवृत्त व वर्तमान मे पदस्थापित प्रशासनिक-पुलिस व न्यायिक सेवा के आला अधिकारियों मे से अधिकांश के बच्चे उक्त सेवा मे सफल ना हो पाये हो या वो इस फिल्ड मे जाने की तमन्ना ना रखी है। लेकिन अन्य मेडिकल-वकालत सहित अन्य फिल्ड मे अच्छा मुकाम पाया व पा रहे है। फिर भी कुछ अधिकारी ऐसे रहे है जिनके बच्चे अभी तक ठीक से सेटल नही हो पाये है।
                   कुल मिलाकर यह है कि सभी आला अधिकारियों को अपने बच्चों की ढंग से परवरिश करने के साथ साथ उनके अपने बराबर वाली या अपने से उपर स्तर वाली सेवा का अधिकारी बनाने के लिये भरसक प्रयास करने ही चाहिए। उक्त क्षेत्रो मे जाने मे बच्चे किसी तरह इच्छा या ना इच्छा के चलते सफल नही हो पाये तो उनको अन्य फिल्ड मे सेटल करना ही चाहिए। लेकिन साथ साथ सभी अधिकारियों से मिल्लत उम्मीद रखती है कि वो अपने बच्चों के अतिरिक्त एक एक अन्य काबिल बच्चे की गाइडेंस करने के अलावा अपना पेट काट कर जरूरत मंद की आवश्यक हो तो आर्थिक मदद करने का प्रयास जरूर करे। ओर कुछ नही तो अपनी आमदनी की निकलने वाली सालाना जकात का उपयोग ही इस राह मे करके कुछ हद तक बदलाव लाया जा सकता है। यानि अपनी गाय को तो छावं मे सभी बांधते है। मजा तब चोघुना हो जाता है जब अपनी गाय के साथ साथ दुसरो की गाय को भी छावं मे बांधे।

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