कांग्रेस नेता राहुल गांधी 12-13 फरवरी को राजस्थान दौरे पर रहकर किसान सम्मेलनो को सम्बोधित करेंगे। - राजस्थान मे जगह जगह सचिन पायलट किसान आंदोलनों मे जाकर जनता मे अपनी पकड़ मजबूत करने मे लगे है। वही मुख्यमंत्री गहलोत कांग्रेस हाईकमान पर पकड़ काफी मजबूत करने मे लगे है।


               ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

   


             

केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये कृषि सम्बन्धित तीन कानूनो को काले कानून बताते हुये उन्हें रद्द करने की मांग को लेकर भारत भर मे चल रहे किसान आंदोलनो के मध्य पीछलै पचेतर दिन से दिल्ली की सीमाओं पर उक्त मांग को लेकर डेरा डाल कर बैठे किसानों द्वारा मुद्दे को भारत भर के अतिरिक्त विश्व स्तर पर गरमाने की आहट का मय पर अहसास करते हुये राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समर्थक राज्य भर मे किसान महापंचायत आयोजित कर रहे है। जिनमे सचिन पायलट को सूनने लाखो लोगो के आने व महापंचायतो की सफलता के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक काफी चिंतित होते नजर आ रहे। उक्त किसान महापंचायतों से मुख्यमंत्री गहलोत समर्थक मंत्री व विधायको द्वारा पूरी दूरी बनाये रखने के बावजूद पायलट के साथ उनके समर्थक विधायक व कांग्रेस नेता भी उक्त किसान महापंचायतों मे पायलट के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जा रहे है।
             अच्छे वक्ता व जनता पर सीधी पकड़ ना होने के कारण अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने के बावजूद भी उनकी सभाओ मे सचिन पायलट की सभाओ के मुकाबले मे ठीक ठाक भीड़ भी नही जुट पाने के चलते गहलोत राजस्थान मे घूम घूम कर सभाऐ करने से कतराते रहे है। जबकि पीछले साल के मध्य गहलोत व पायलट मे वर्चस्व को लेकर छिड़ी जंग के बाद गहलोत ने पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद व उन सहित उनके समर्थक मंत्रियों को मंत्रीमंडल से तो बाहर करवा कर अपना पावं ऊंचा रख लिया थ। लेकिन पायलट ने उसके बाद जब राज्य भर मे किसी ना किसी रुप मे घूम कर जनता के मध्य जाना जारी रखा तो आज उसकी जनता पर पकड़ काफी मजबूत होना साफ नजर आने लगा है। उधर गहलोत पर खास नजर रखने वाले कांग्रेस नेता अहमद पटेल के निधन के बाद पहले जो दस जनपथ पर ही उनकी मजबूत पकड़ थी वो अब उससे बढकर पूरी कांग्रेस हाईकमान पर पकड़ मजबूत होती जा रही है।
            पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के राज्य भर मे लगातार सभाऐ करने के मध्य उनके समर्थक दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा द्वारा 5-फरवरी को दौसा मे आयोजित किसान महापंचायत की सफलता व उसमे लाखो की भीड़ जमा होकर सचिन पायलट को पीनडरोप साइलेंट वातावरण मे सुनने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा समर्थकों मे खासी हलचल पैदा होने के बाद राजनीति के जानकार बताते है कि मुख्यमंत्री ने आनन फानन मे प्रभारी महामंत्री अजय माकन के मार्फत कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राजस्थान आने को आमंत्रित कर डाला। राहुल गांधी द्वारा राजस्थान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के बाद 12-13 फरवरी को उनका राजस्थान मे दो दिवसीय कार्यक्रम फायनल किया गया है।
                 राहुल गांधी के राजस्थान मे फायनल हुये कार्यक्रम के अनुसार अभी तक जो तय हुवा है उसके मुताबिक़ 12-फरवरी को पंजाब के लगते हनुमानगढ जिले की पीलीबंगा व श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर मे दो अलग अलग जगह आयोजित होने वाले किसान सम्मेलन को सम्बोधित करेगे। अगले दिन 13- फरवरी को नागौर जिले के परबतसर व मकराना मे आयोजित होने वाले किसान सम्मेलन को सम्बोधित करने के अलावा लोकदेवता तेजाजी महराज के दर्शन करेगे। इसके अतिरिक्त 13-फरवरी को ही नागौर जिले के अलावा अजमेर जिले के सूरसरा किशनगढ़ मे किसान सम्मेलन को सम्बोधित व रूपनगढ़ मे ट्रेक्टर रैली करेंगे।
             कुल मिलाकर यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत खेमे की पहल पर राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर आकर किसान सम्मेलनों को सम्बोधित करके राहुल गांधी गहलोत-पायलट के मध्य खींच चुकी खाई को कितना पाट पाते है। या फिर दोनों मे से किसको किस पर अधिक तरजीह देकर जाने का ईशारा करके उक्त दोनों नेताओं का भविष्य तय करके जाते है। यह सबकुछ उनकें दौरे के बाद स्पष्ट होगा। लेकिन सचिन पायलट समर्थकों द्वारा आयोजित किये जा रहे किसान महापंचायतों मे उमड़ते जनसैलाब ओर उनमे भी हर बिरादरी व मजहब के लोगो के शामिल होने से भाजपा की मजहब व बिरादरी के नाम पर बांटने की नीति पर गम्भीर चोट होती नजर आ रही है। सचिन पायलट द्वारा उक्त तरह की राज्य भर मे आगे भी लगातार जगह जगह किसान महापंचायते करते रहने व उनमे जाते रहने की कहकर राजस्थान की राजनीति मे एक नई हलचल पैदा करके भाजपा की चुल्हे हिला दी है। साथ ही पायलट समर्थको द्वारा आयोजित की जा रही किसान महापंचायतों मे गहलोत समर्थकों द्वारा दूरी बनाये रखने से दोनो नेताओं के मध्य खींच चुकी खाई साफ नजर आने लगी है। दौसा महापंचायत मे उसी जिले से तालूक रखने वाले गहलोत समर्थक मंत्री परशादी लाल मीणा व ममता भुपेश के ना जाने की चर्चा आम आदमी की जबान पर है।

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