तीन जनवरी को जयपुर मे कांग्रेस ने किसानों की मांगो के फेवर मे धरना दिया।लेकिन उम्मीद के मुताबिक भीड़ जुट नही पाई।
धरना स्थल पर सचिन पायलट के समर्थन मे बार बार नारे लगने से मुख्यमंत्री गहलोत असहज नजर आये।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
दिल्ली की चारो तरफ की सीमाओं पर कृषि सम्बन्धित केंद्र सरकार द्वारा बनाये तीन काले कानून को वापस लेने की मांग को लेकर भारत भर के किसान डेरा डाल कर पीछले लम्बे समय से धरने पर बैठे होने के चलते उनके समर्थन मे राजस्थान कांग्रेस द्वारा तीन जनवरी को दोपहर बारह से चार बजे तक शहीद स्मारक जयपुर पर धरना देने की ओपचारिकता पूरी की गई। उक्त धरने मे मुख्यमंत्री गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट समेत अनेक विधायक व नेताओं के शिरकत करने के बावजूद मुनासिब भीड़ नही जुटने पर बिछाई गई ग्रीन कारपेट भी खाली रहने से कांग्रेस सरकार की साख पर बट्टा लगना माना जा रहा है। धरने मे सचिन पायलट के आने पर व उनके भाषण पर उनके हक मे बार बार खूब नारे लगे एवं वही मुख्यमंत्री गहलोत के भाषण पर नारे नही लगने पर मुख्यमंत्री ने अपने भाषण मे मीडिया पर भी अपनी भड़ास निकाली। गहलोत व पायलट करीब डेढ घंटे धरने मे साथ साथ बैठे रहे। पर आपसी संवाद नही हुवा।
कम भीड़ वाले ओपचारिक बने कांग्रेस के उक्त सांकेतिक धरने मे मुख्यमंत्री गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर मीडिया व शिरकत करने वाले नेताओं का खास फोकस रहा। धरने मे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा भी मोजूद थे लेकिन उनपर किसी तरह का फोकस नजर नही आया। धरने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों सहित उनकी सरकार को समर्थन दे रहे अन्य विधायकों को रात्रि भोज भी अपने सरकारी आवास पर दिया। भोज मे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी पहुंचे जिनसे वहां मुख्यमंत्री समर्थक अनेक विधायकों को मिलते देखने को राजनीति मे अलग से देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि कृषि सम्बन्धित तीन काले कानून वापिस लेने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों के साथ होने को दिखाने के लिये राजस्थान कांग्रेस का सांकेतिक धरने मे मुख्यमंत्री गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट की शिरकत के बावजूद आम जनता पर किसी तरह का प्रभाव नही छोड़ पाया है। उक्त धरने से मात्र सचिन पायलट की जनता मे मुख्यमंत्री गहलोत केमुकाबले स्वीकार्यता बढने का संकेत जरूर मिला है।
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