भरतपुर।
राजस्थान के भरतपुर जिले में गुर्जर आंदोलन की आग अभी बुझी ही थी कि अब जाटों ने भी आंदोलन की चेतावनी दे डाली है. भरतपुर, धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण की है. मांग 2017 जाट आंदोलन समझौता वार्ता के दौरान सरकार ने किया था. जाट आंदोलन संघर्ष समिति के संयोजक नैम सिंह फौजदार ने कहा कि केंद्र को चिट्ठी लिखने का वादा, आंदोलनकारियों से मुकदमे वापस लेने सहित तमाम मांगों को लेकर आगामी 18 नवंबर को जाटों की महापंचायत आगरा-जयपुर नेशनल हाइवे के पास पथेना गांव में होगी. इसके लिए जाट आरक्षण संघर्ष समिति गांव-गांव जाकर पीले चावल बांटकर महापंचायत में आने के लिए लोगों को न्योता दे रही है।भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया है कि वर्ष 2017 में हुए जाट आंदोलन समझौता वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि भरतपुर धौलपुर जिलों के जाटों को ओबीसी वर्ग में केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए सिफारिश चिट्ठी लिखेगी व आन्दोलनकारियो पर लगे मुकदमों को वापस लिया जाएगा. साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी. मगर दो वर्ष होने के बाद भी कोई भी वादा पूरा नहीं हो सका है. अब आंदोलन एक मजबूरी है.
उन्होंने कहा कि जाट नेता जल्दी ही आंदोलन की रणनीति बनाएंगे, जिसके लिए पहली पंचायत आगामी 18 नवंबर को गांव पथैना में आयोजित होगी, उसके बाद कई बड़े गांव में पंचायत आयोजित होगी व आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी. इन सभी महापंचायतों को करने के बाद एक हुंकार रैली का आयोजन कर आंदोलन का बिगुल बजाया जाएगा.
दरअसल, 2017 में जाट आंदोलन के दौरान सरकार के साथ हुए समझौता वार्ता में जाटों कि तरफ से प्रतिनिधिमंडल में डॉ सुभाष गर्ग भी शामिल थे, जो फिलहाल राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान जाट समाज रेलवे ट्रैक, हाईवे सहित सभी छोटे बड़े मार्गों को जाम करेगा और यहां के आंदोलन की आग उत्तर प्रदेश व हरियाणा तक फैलेगी जिसे सरकार पूर्व में भी देख चुकी है, इसलिए सरकार ने जो वादा किया था उसे समय पर पूरा करे
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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