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एआईएमआईएम की आहट से राजस्थान कांग्रेस मे हलचल तेज। - सत्ता की बजाय संगठन मे मुस्लिम का प्रतिनिधित्व बढाने की चर्चा।

 
              ।अशफाक कायमखानी।

जयपुर।
              राजस्थान कांग्रेस सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को सत्ता मे प्रयाप्त हिस्सेदारी देने से कोसो दूर रखने व उनको केवल मजबूर वोटबैंक मानकर उनके हको को सरकारी स्तर पर नकारते आने की एक के बाद एक होती लगातार घटनाओं से खासतोर पर मुख्यमंत्री गहलोत व उनकी नीतियों से मुस्लिम समुदाय कांग्रेस से दूर जाकर एआईएमआईएम चीफ बेरीस्टर असदुद्दीन आवेसी की तरफ आकर्षित होकर उनकी राजस्थान मे ऐंट्री करवाने की कोशिशों के बाद आवेशी द्वारा गहलोत पर हमला बोलते हुये मुसलमानों से सत्तर साल की कांग्रेस की गुलामी छोड़ने की अपील करने से राजस्थान कांग्रेस मे हलचल बढा दी है लेकिन फिर भी कांग्रेस सरकार उन्हें सत्ता मे हिस्सेदारी देने की बजाय संगठन मे संगठन गठन के समय एक तिहायी जिलाध्यक्ष पद के लालीपाप देकर साधने के संकेत मिलने लगे है। डोटासरा द्वारा संगठन मे पहले से अधिक प्रतिनिधित्व देने के संकेत देने के बाद प्रभावहीन बन चुके संगठन मे पद पाने की समुदाय के नेताओं मे खास रुचि नजर नही आ रही है। गहलोत के 1998 मे पहली दफा मुख्यमंत्री बनने के बाद मात्र विधायकों व विधानसभा उम्मीदवारों को तरजीह देने के रिवाज डालने के बाद संगठन नेता द्वारा पार्षद व पंचायत निदेशक तक की टिकट नही दिलवा पाने की स्थिति आने से संगठन के प्रति आकर्षण खत्म सा हो गया है।
              राजस्थान के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, धार्मिक व सियासी वर्कर जो सियासत को ठीक से समझते है उन लोगो मे से अधीकांश लोगो ने आवेसी को राजस्थान कांग्रेस द्वारा उन्हें लगातार दरकिनार करने व मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा उनके साथ विपक्षी व कभी कभी दुशमनों जैसा व्यवहार करके उन्हें सत्ता की हिस्सेदारी से दूर रखने के फैसलो से अवगत कराकर प्रदेश मे उनकी पार्टी का संगठन खड़ा करके चुनाव लड़ने का सुझाव देने के बाद आवेसी का भी लगाव इस तरफ तेजी से बढने लगा है।
                दलित-ओबीसी-आदिवासी व मुस्लिम का किसी ना किसी रुप मे गठजोड़ बनाकर राजस्थान मे चुनाव लड़ने की ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का थींक टैंक अभी से इस पर काम करने लगा है। एक दिसंबर को ग्रैटर हैदराबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव होने के बाद ओवैसी के कुछ नेता राजस्थान पर फोकस करने लगेगे। बंगाल चुनाव के बाद ओवैसी राजस्थान के मेवात, मारवाड़, शेखावाटी व हाड़ोती मे पहले दौर मे सभाऐ कर सकते है। मेवाड़ मे आवेसी भारतीय ट्राईबल पार्टी से किसी ना किसी रुप मे सामंजस्य बैठाकर चुनावी चौसर बीछाने का प्रयास कर सकते है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री गहलोत का गृह जिला जोधपुर व प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा के गृह सीकर जिले पर आवेसी विशेष फोकस करते नजर आ रहे है।
            कुल मिलाकर यह है कि अशोक गहलोत के तीनो मुख्यमंत्री कार्यकालो को मुस्लिम व दलित समुदाय के तालूक से असदुद्दीन आवेशी व उनका थींक टैंक विशेष तौर पर स्टेडी करते हुये राजस्थान मे काम करने का तरीका तय कर रहा बताते है। आवेसी की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है कि वो जिस प्रदेश मे जाते है उससे पहले उस प्रदेश की पूरी तरह पहले ग्राऊंड स्टेडी करते है फिर कदम आगे बढाते बताते है। एआईएमआईएम ने राजस्थान की 40-45 सीटो को छांटकर उनपर फोकस करके अगले तीन साल काम करके चुनाव लड़ने का तय किया बताते।

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