।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
राजस्थान मदरसा पैराटीचर्स संघ व उर्दू शिक्षक संघ के तत्वावधान मे मदरसा पैराटीचर्स के नियमतिकरण करने की मांग को लेकर जयपुर मे तपती गर्मी मे जुलाई-2019 मे बडा आंदोलन चलकर निर्णायक स्थिति मे आने पर कुछ मुस्लिम विधायक आंदोलनकारियों व सरकार के मध्य वार्ताकार बनकर आकर कोरे आश्वासनों के बल पर उस आंदोलन को समाप्त करवाने मे कामयाबी पाई थी। उसी की तर्ज पर प्रमुख रुप से उसी नियमतिकरण की मांग के साथ उर्दू की मांगो को लेकर एक उर्दू शिक्षक द्वारा की जारही दांडी यात्रा की आज उदयपुर मे समापन की घोषणा के समय दिखाये जा रहे समझोता पत्र मे लिखे आश्वासनों के साथ समापन हुवा है। पैराटीचर्स द्वारा किये गये जुलाई-2019 के उस आंदोलन के समय आंदोलनकारियों की अनेक दफा मुलाकात मुख्यमंत्री गहलोत व उनके अधिकारियों से तक से होने के बाद तत्तकालीन समझोता हुवा था। इसके विपरीत दांडी यात्रा की समाप्ति की घोषणा तो केवल मात्र एक मुस्लिम बोर्ड अध्यक्ष के आश्वासन पर ही कर देने से समुदाय मे अनेक तरह की चर्चा चल पड़ी है।
आंदोलन करना व फिर समझोता करना आंदोलनकारियों के अपने विवेक व मंशा पर निर्भर करने के अलावा उनका निजी मामला हो सकता है। लेकिन जिस आंदोलन के साथ जनभावनाओं का झुड़ाव हो जाता है तब अगर कोई समझोता निर्णायक मोड़ पर जाकर बीना कुछ मांग माने होता है तो उस तरह के आंदोलन की दशा देख कर आगे भी उस तबके की दशा मे सुधार होना कठिन माना जाता है।
कुल मिलाकर यह है कि बीना होमवर्क किये किये जाने वाले किसी भी आंदोलन की समाप्ति हमेशा बीना कुछ पाये ही होती है। साथ ही इस तरह के आंदोलन की समाप्ति के समय लिखे जाने वाले समझोता पत्रो मे निर्णय होना लिखा जाने की बजाय चर्चा होना लिखा जाता है। यानि घर को आग लगी घर के चिराग से।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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