शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने ज्वाइन की कांग्रेस
नई दिल्ली : वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने आज ज्वाइन कर ली कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि बड़ा महत्वपूर्ण ये विषय है आज, दो महत्वपूर्ण लोग आज आपके सामने हैं। सुभाषिनी यादव जी, आपके पिता शरद यादव जी का एक बहुत विशेष स्थान भारत की संसदीय लोकतंत्र में है। 2010 में उन्हें बेस्ट पार्लियामेंटेरियन का अवार्ड मिला था और देश की एकता पर जो खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, उसके खिलाफ एक बुलंद आवाज ‘सांझी विरासत’ नाम से उन्होंने जो एक कैंपेन चलाया था, एक बुलंद आवाज थी। प्रलोभन उनको भी कम नहीं मिले, जब ये परिवर्तन हुआ, जब कुछ लोग अचानक रातों-रात बदल कर कहीं और चले गए, उन्होंने उन तमाम प्रलोभनों को ठुकराया और जो खतरे के बादल आज लोकतंत्र पर हैं, उसके खिलाफ उन्होंने एक सही निर्णय उस वक्त लिया। सुभाषिनी यादव जी उस परिवार से हैं, जिसकी ये विरासत है, ये गुण हैं, हमें गर्व है इस बात पर कि आज सुभाषिनी यादव जी हमारे बीच यहाँ आई हैं।
काली पांडे जी को कौन नहीं जानता, लगभग 40 साल का इनका राजनीतिक सफर, बड़ी मजबूती से वो अपने लोगों के लिए लड़ते हैं, संघर्ष करते रहे हैं। ये एक प्रसन्नता का विषय है, गौरव का विषय है हम सबके लिए कि काली पांडे जी ने यह निर्णय लिया कि हमारे साथ अब अपना राजनैतिक सफर फिर से शुरु करना चाहते हैं, हमारे साथ रहकर।
वही देवेन्द्र यादव ने कहा कि जैसा कि पवन भाई ने बताया अभी, हमारे बीच में दो ऐसी शख्सियत हैं, जिनका भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण ना सिर्फ योगदान रहा है, बल्कि मैं तो कहना चाहूंगा कि आज शरद यादव जी जैसी शख्सियत, जो भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान रखती है और राजनीति के प्रोधा के रुप में भी उनका आंकलन करुं तो वो भी कम ही होगा। एक ऐसी शख्सियत जो 7 बार लोकसभा में पहुंचे, 4 बार उनको राज्यसभा में नोमिनेट करने का, राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक ऐसी शख्सियत की विरासत को आगे लेकर चलने के लिए आज हमारे बीच में सुभाषिनी यादव जी उपस्थित हैं, जो स्वयं एक सोशल वर्कर भी हैं, चाहे वुमेन वेलफेयर हो, इस क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य करती हैं और साथ के साथ एक ऐसे राजनीतिक परिवार से संबंध रखती हैं, जहाँ बचपन से इनको राजनीति देखने और समझने का मौका प्राप्त हुआ।
एक और ऐसी शख्सियत काली पाडें जी के रुप में हमारे बीच में उपस्थित हैं, जो लोजपा के वरिष्ठ नेता तो हैं ही हैं, लेकिन इन्होंने अपना जो राजनीतिक जीवन है, वो बहुत छोटी उम्र में, बहुत छोटे लेवल पर शुरु करके, दो बार इंडिपेंडेड पार्लियामेंट की सीट को जीत कर माननीय राजीव गांधी जी के साथ मजबूती के साथ अपनी पारी शुरू की। कई बार विधायक भी रहे, निश्चित ही ऐसी दो शख्सियतों से कांग्रेस को तो मजबूती मिलेगी ही, लेकिन मैं समझता हूं कि बिहार की राजनीति में इसका बहुत दूरगामी असर होगा। मैं दोनों साथियों का स्वागत करता हूं।
इस मौके पर सुभाषिनी यादव ने कहा कि मैं आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधी, श्री राहुल गांधी, श्रीमती प्रियंका गांधी, हमारे बिहार प्रदेश के अध्यक्ष माननीय मदन मोहन झा जी, आदरणीय अखिलेश जी और तमाम जो बिहार कांग्रेस से रिलेटेड़ लोग यहाँ बैठे हैं, मैं उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं।
मेरे पिता जी श्री शरद यादव जी की तबीयत थोड़े दिनों से थोड़ी कमजोर चल रही है, तो इस बार वो खुद सक्रिय होकर बिहार की राजनीति में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, पर उन्होंने हमेशा ही महागठबंधन का सपोर्ट किया है और महागठबंधन के लिए बिहार में काम किया है। मैं उनकी बेटी हूं, मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जो पिता जी से मैंने सीखा है और जो सोशल रेवोल्यूशन उन्होंने लाया था बिहार में, उनकी लेगेसी को मैं आगे ले जाऊं और ये लड़ाई हम अच्छे से लडें, बिहार को एक अच्छा प्रदेश बनाएं और वहाँ के लोगों के लिए काम करें।
मैं फिर से सब लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन लोगों ने ऐसे समय में भी जहाँ मेरे पिता जी की तबीयत ठीक नहीं थी और मुझ पर भरोसा जताया, श्री अहमद पटेल जी का कि उन्होंने मुझे इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि मुझे आगे आना चाहिए और उनकी बातों को और उनके विचारों को आगे रखना चाहिए। मैं सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं।
काली प्रसाद पांडे ने कहा कि माननीय कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी, वरिष्ठ नेता और देश के युवाओं के ह्रदय सम्राट राहुल गांधी जी, मंचासीन पवन खेड़ा जी, देवेन्द्र यादव जी, तोमर साहब और हमारे बिहार प्रदेश के प्रेसीडेंट और जुझारु साथी मदन मोहन झा जी, मंचासीन श्री अखिलेश सिंह जी और तमाम मीडिया के साथियों, आज मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि कभी दिन था, मैं भी नेता लोगों को देखता था, अकस्मात मैंने अपना भाग्य आजमाया और 1980 में विधानसभा जीता, फिर 1984 में, मैंने इंडिपेंडेंट पार्लियामेंट का चुनाव गोपाल गंज क्षेत्र से लड़ा और अपार बहुमत से मैंने विजय हासिल की। मेरे को न जाने क्यों राजीव गांधी जी से, उनका एक अट्रैक्शन था कि जो बोलते थे, तो प्यार मिलता था। जिस दिन सारे अपोजीशन पार्लियामेंट में वी. पी. सिंह जी के नेतृत्व में रिजाइन दे रहे थे, उस दिन पार्लियामेंट में, मुझे गर्व होता है, कि पार्लियामेंट में अकेले खड़ा होकर मैंने राजीव जी का साथ दिया और दो-दो,तीन-तीन बार कांग्रेस की टिकट पर मैंने चुनाव लड़ा। ये मेरा घर कोई नया घर नहीं है बहुत पुराना घर है और आज मुझे खुशी होती है कि पुनः अपने पुराने घर में आ रहा हूँ।
साथियों, महाभारत की जब लड़ाई शुरु होने वाली थी, तो सबसे पहले भगवान कृष्ण के पास दुर्योधन पहुँचा, अर्जुन को पता लगा, अर्जुन भी कुछ मिनटों में वहाँ पहुँचे, भगवान कृष्ण को सोया हुआ देखकर दुर्योधन उनके सिर की ओर खड़ा हो गया और अर्जुन पैर के पास बैठ गए। जब भगवान कृष्ण की नींद टूटी, तो तो सबसे पहले पूछे अर्जुन से कि बोलो अर्जुन तुम्हें महाभारत की लड़ाई में क्या चाहिए? तो अर्जुन ने कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन हमारे शास्त्र के नियमानुसार मांगने का अधिकार छोटों को है, तुम बड़े हो तो अर्जुन ने कहा कि महाभारत की लड़ाई में मुझे सिर्फ आप चाहिए भगवान, आप चाहिए और मुझे खुशी है कि हमारे मित्र शरद यादव जी की पुत्री सबसे छोटी उम्र में कांग्रेस का दामन थामा।
जब अर्जुन चले गए तो दुर्योधन से पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए, तो कहा कि आपकी सेना, आपका धन चाहिए, दुर्योधन जब सेना और फौज लेकर चला गया, तो भगवान कृष्ण ने पूछा की अर्जुन तुम जानते हो कि महाभारत की लड़ाई में मैं अस्त्र नहीं उठा सकता हूं, तो श्री अर्जुन ने कहा कि मैंने इसलिए मांगा आपको कि अगर महाभारत की लड़ाई के मैदान में मेरे रथ के घोड़े की लगाम अगर आपके हाथ में होगी, तो मैं ये महाभारत की लड़ाई जीत जाऊँगा, उसी तरह कांग्रेस की कमान राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी उस रथ के सारथी हैं और आने वाला समय कांग्रेस का होगा।
मदन मोहन झा ने कहा कि मंचासीन सम्मानित नेतागण, सबसे पहले मैं बिहार कांग्रेस में सुभाषिनी और अपने बड़े भाई काली पांडे जी का हार्दिक स्वागत करता हूं और आप सभी जानते हैं कि सुभाषिनी जी के परिवार से भी मेरा, उनके पिता जी से मेरे पिता जी का काफी संबंध रहा है और काली पांडे जी से तो मेरा 40 साल का पुराना रिश्ता रहा है। दोनों के परिवार को यहाँ बहुत से पत्रकार बिहार से भी हैं, मैं समझता हूं, इन दोनों को कोई परिचय की आवश्यकता नहीं है और ना ये कहने की आवश्यकता है कि इनके आने से इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, निश्चित रुप से प्रभाव पड़ेगा और आज की इस संकट की घड़ी में जब देश को एक नेतृत्व हमारी नेता श्रीमती सोनिया गांधी जी और श्री राहुल गांधी जी का मिल रहा है, उसमें इन दोनों का सहयोग जो मिला है, इसके लिए मैं इन दोनों को धन्यवाद भी देता हूं और स्वागत भी करता हूं और आशा करता हूं हम सभी मिलकर आपस में बिहार के नाम को और देश को नाम को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
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