राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह,शिक्षक बेहतर समाज के निर्माता-मुख्यमंत्री
जयपुर, 15 अक्टूबर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शिक्षक एक बेहतर समाज के निर्माता हैं। शिक्षक अपने मार्गदर्शन के माध्यम से बच्चों में जीवन मूल्यों के साथ ही उनमें धर्म निरपेक्षता, एकता, अखण्डता, सामाजिक सद्भाव जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करते हैं, ताकि हमारी भावी पीढ़ी एक श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण कर सके।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कोरोना के दौर में भी बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा से जोडे़ रखने के लिए ई-कक्षा कार्यक्रम की शुरूआत की एवं नो-बैग डे के ब्रोशर का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान 849 शिक्षकों को उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्चुअल रूप से सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह शासन के माध्यम से गुड गवर्नेंस देना चाहती है। इसमें शिक्षकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने कोविड-19 महामारी के दौर में कोरोना वारियर्स के रूप में समर्पित भाव से सेवाएं दी हैं। राज्य सरकार उनके मान-सम्मान में कोई कमी नहीं रखेगी।
गहलोत ने कहा कि वर्ष-2020 को हम जीवन बचाने का वर्ष मानकर आगे बढें, क्योंकि कोविड-19 से जीवन रक्षा ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना से जीवन रक्षा के साथ-साथ आजीविका को सुचारू रखने के लिए भी प्रयासरत है। हमने इसके लिए मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के साथ ही विकास की गतिविधियों को भी लगातार बढ़ाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के महत्व को समझते हुए प्रदेश में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की स्थापना की है। हमारा प्रयास है कि आवश्यकता के अनुसार इनकी संख्या लगातार बढ़े, जिससे गांव-ढाणी तक बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा मिल सके और वे निजी स्कूलों के विद्यार्थियों से पीछे नहीं रहें।
शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं, जिनसे राज्य शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बना है। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय में बच्चों के अध्ययन में कोई बाधा न आए, इसके लिए राज्य सरकार ने डिजिटल शिक्षा पर जोर देते हुए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से ई-कंटेट तैयार करवाया है। इसके लिए मिशन ज्ञान तथा वेदांता का सहयोग लिया गया। राजस्थान पहला राज्य है, जिसने ‘ई-कक्षा प्रोजेक्ट’ के माध्यम से ऎसी अनूठी पहल की है। साथ ही हर शनिवार को ‘नो बैग डे‘ शुरू करने वाला भी राजस्थान देश का पहला राज्य है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 तक मात्र 63 शिक्षकों को सम्मानित किया जाता था, लेकिन शिक्षकों की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने करीब 1100 शिक्षकों का हर वर्ष सम्मान करने का निर्णय लिया है। इसी तरह उनकी सम्मान राशि में भी 6 गुना तक बढ़ोतरी की है।
तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के मान-सम्मान को बढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी है। उन्होंने कहा कि पुरस्कृत शिक्षकों को रोडवेज किराए में शत-प्रतिशत छूट देने, राजस्थान आवासन मण्डल से आवास उपलब्ध करवाने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय किए गए हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है।
वेदांता गु्रप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान के लोगों की यह विशेषता रही है कि वे विषमताओं के बीच अपने पुरूषार्थ से वर्चस्व कायम कर लेते हैं। कोरोना जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी राजस्थान के गांव-ढाणी में रहने वाले बच्चों को भी ई-कक्षा कार्यक्रम के इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल सकेगी।
पीरामल फाउण्डेशन की कार्यक्रम निदेशक मोनल जयराम ने कहा कि राजस्थान उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है, जिन्होंने नो-बैग डे के माध्यम से बच्चों को भारी-भरकम स्कूली बैग से मुक्ति दिलाने की दिशा में पहल की है।
प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा अपर्णा अरोरा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि 99 शिक्षकों को राज्य स्तर, 99 को जिला स्तर तथा 651 शिक्षकों को ब्लॉक स्तर पर आज सम्मानित किया गया है। इन्हें 68 लाख से अधिक की पुरस्कार राशि प्रदान की गई है।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा सौरभ स्वामी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. भंवरलाल, मिशन ज्ञान के प्रतिनिधि जितेन्द्र सोनी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। प्रदेशभर के शिक्षक संगठन, शिक्षक एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुडे।
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