जयपुर।
राजस्थान मे 1998 मे अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत ने अपने आपको पुरे पांच साल के कार्यकाल के लिये सुरक्षित रखने के लिए विधायकों व विधानसभा मे पार्टी के उम्मीदवार रहने वालो को उस क्षेत्र का एक तरह से बादशाह बनाकर उनकी मर्जी से उस क्षेत्र मे पत्ता भी हिलने या नही हिलने की गलत परिपाटी राजस्थान मे शुरु की थी, उसके बाद हर सत्तारूढ़ दल के सरकार के मुखिया द्वारा अपने आपको सुरक्षित रखने के लिये संगठन पर विधायकों को तरजीह देने का सीलसीले का चलन किया है वो राजनीति को पता नही किस मोड़ पर ले जाकर छोड़ेगा।
1998 के बाद राजस्थान मे पंचायत व स्थानीय निकायो सहित अन्य उक्त तरह के विभिन्न चुनावों को छोड़कर हाल ही मे छ नगर निगम चुनावों मे टिकट वितरण को पर नजर डालते हुये सत्तारूढ़ दल व प्रमुख विपक्षी दल के मुखिया पर विधायकों को तरजीह मिलने के बाद मुखियाओं की हालत काफी सोचनीय नजर आने लगी है।
सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा जयपुर नगर निगम चुनाव मे दो-चार टिकट अपने को देने के लिये कमेटी के मार्फत टिकट वितरण करने की भरपूर कोशिश करने के बावजूद विधायकों व विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवार रहे नेताओं की जिद्द के आगे उनकी रत्ती भर भी नही चली। विधायक अपने क्षेत्र की एक एक टिकट अपने हिसाब से देने पर अड़े रहे। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद भी वोही हुवा जो विधायकों ने चाहा। ओर प्रदेश अध्यक्ष मुहं ताकते रह गये। इसी तरह प्रमुख विपक्षी दल के अध्यक्ष ने अपने विधानसभा क्षेत्र मे तो टिकट वितरण कर पाये लेकिन अपने निवास वाले वार्ड से अपने चहते शिष्य को टिकट दिला नही पाये। शिष्य भी चालक निकला हालात को भांपकर विपरीत दिशा वाली सत्तारूढ़ पार्टी की टिकट लेकर मैदान मे कूद पड़ा।
कुल मिलाकर यह है कि स्थानीय निकाय व पंचायत चुनावो के अलावा सहकारी क्षेत्र सहित अन्य तरह के चुनावों मे उम्मीदवार बनाने को लेकर पार्टी संगठन को अलग थलग पटकर संगठन पर विधायकों को तरजीह देने की परिपाटी 1998 के बाद अशोक गहलोत ने डाली थी। उस परिपाटी को आज राजस्थान का पक्ष व विपक्ष के अपनाने बाद अगले कुछ सालो मे संगठन नाम मात्र का रहेगा ओर पार्टी कार्यकर्ताओं की बजाय विधायकों की ही बनकर रह जायेगी। उस दिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया एक तरह से तड़फती नजर आयेगी।
।अशफाक कायमखानी। चूरु।राजस्थान। राज्य सरकार द्वारा चूरु शहर स्थित अल्पसंख्यक छात्रावास के लिये बजट आवंटित होने के बावजूद जमीन नही होने के कारण निर्माण का मामला काफी दिनो से अटके रहने के बाद डा.खानू खान की कोशिशों से जमीन आवंटन का आदेश जारी होने से चारो तरफ खुशी का आलम देखा जा रहा है। स्थानीय नगरपरिषद ने जमीन आवंटन का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजकर जमीन आवंटन करने का अनुरोध किया था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही मे देरी होने पर स्थानीय लोगो ने धरने प्रदर्शन किया था। उक्त लोगो ने वक्फ बोर्ड चैयरमैन डा.खानू खान से परिषद के प्रस्ताव को मंजूर करवा कर आदेश जारी करने का अनुरोध किया था। डा.खानू खान ने तत्परता दिखाते हुये भागदौड़ करके सरकार से जमीन आवंटन का आदेश आज जारी करवाने पर क्षेत्रवासी उनका आभार व्यक्त कर रहे है।
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