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मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत कितना निचे तक तंत्र को जाने देगे ?  , आगे चलकर यह सबकुछ इतिहास गवाह बन सकता है!

जयपुर।
              राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिनके पास ग्रह विभाग होने के कारण उनके अबतक के करीब पोने दो साल के कार्यकाल मे विपक्षी नेताओं के खिलाफ किसी तरह की ठोस कार्यवाही करने का साहस नही जुटा पाने के बावजूद इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री राजे का सरकारी आवास खाली कराने के अदालती आदेश के खिलाफ सरकार का सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चर्चा राजनीतिक हलको मे लगातार होने के अतिरिक्त अपने दल के विधायको के खिलाफ राजद्रोह 124-ऐ मे मुकदमा दर्ज होने के बाद तो आम लोग कहने लगे है कि मुख्यमंत्री जी अपने ही लोगो के खिलाफ तंत्र को कितने निचे तक ले जायेगे।
              काग्रेस नेता सचिन पायलट को राजनीतिक तौर पर लगातार किनारे करने मे लगे नजर आने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक ओएसडी ने विधायक भंवरलाल शर्मा व अन्य विधायक व नेताओं की आपसी बातचीत को कथित तोर पर रिकॉर्ड करके अपने ही मोबाइल नम्बरो से पत्रकारों को भेजने के आरोप मे उस ओएसडी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच मे दूध का दूध व पानी का पानी तत्तकालीन समय मे होना चाहिए था। लेकिन उस समय किसी विधायक व पत्रकार की टेलीफोनिक बातचीत को रिकॉर्ड करके किसी को भेजने के लिये सचिन पायलट के प्रैस सलाहकार व एक नामी न्यूज चेनल के पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच होने की चर्चा आम जुबान पर है। बेशक सभी इस तरह की घटनाओं की जांच होनी चाहिए लेकिन चुनिंदा मामलो मे ना होकर उस तरह के सभी तरह के मामलो मे जांच होकर असलियत जनता के सामने आनी चाहिए।
            तीन महीने पहले कांग्रेस विधायकों मे नेतृत्व के तौर तरीकों को लेकर मची आपसी कलह को आपस मे बैठकर पार्टी हित मे सुलझाने की बजाय मुख्यमंत्री के खास विधायक महेश जोशी द्वारा एसओजी व ऐसीबी मे अलग अलग शिकायत करने पर कांग्रेस के ही कुछ विधायकों के खिलाफ राजद्रोह की धारा 124-ऐ सहित विभिन्न अन्य धाराओं मे मुकदमा दर्ज होने के बाद तंत्र का हरियाणा व दिल्ली मे पूछताछ करने को जाने को लेकर बने विचित्र माहोल मे पूरे प्रदेश की जनता को अजीब असमंजस मे उस समय डाला गया था। फिर कुछ लोगो के अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद एसओजी व ऐसीबी को पीछे हटाना पड़ा था। यानि खोदा पहाड़ निकली चुईया।
               हालांकि सचिन पायलट व उनके समर्थकों को राजनीतिक तौर पर किनारे लगाने मे मुख्यमंत्री गहलोत वर्तमान समय मे काफी सफल होते नजर आ रहे है। एक अलग तरह का प्रदेश मे वातावरण पैदा करके गहलोत अपने मुकाबलाती नेता सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर उनकी जगह एक तरह से अपने डमी डोटासरा को अध्यक्ष बनाने मे कामयाब रहे। जबकि गहलोत कुछ सालो से पायलट को उस पद से हटाने की लगातार कोशिश कर रहे थे पर वो उसमे सफल नही हो रहे थे।
             कुल मिलाकर यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने राजनीतिक तौर पर मजबूती से खड़े होकर इंसाफ व पार्टी हित मे बोलने का साहस जुटाने वाले राजस्थान मे सचिन पायलट पहले नेता माने जा रहे है। गहलोत जब से मुख्यमंत्री बने तब से लगातार पायलट को कमजोर करने के प्रयास मे लगे हुये है। उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से पायलट को हटाने मे गहलोत जरुर सफल हो गये है। लेकिन पीछले कुछ महीनो मे कांग्रेस राजनीति मे घटे घटनाक्रमों के बाद पायलट की लोकप्रियता मे भारी उछाल आना माना जा रहा है। पायलट के जन्म दिन पर युवाओं ने रक्त दान करके एक विश्व रिकार्ड बना दिया है।


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