बाराबंकी। डा. लोहिया के साथ मेरा आत्मीय लगाव था। उनके क्रियाकलापों और विचारों ने मेरे जीवन पर ऐसी छाप छोड़ी जिससे मैंने समाजवाद को अपने जीवन का आधार बनाया। डा. लोहिया की नीतियांे और उनके विचारों को आज भी आत्मसात करता हूं। 30 अक्टूबर 1963 में डाॅ लोहिया का टाउन हाल में संसद सदस्य बनने पर जिला छात्र समिति द्वारा मान पत्र दिया गया था।
यह बात समाजवादी पुरोधा एवं संसद सदस्य रहे डा. राममनोहर लोहिया की 53वें महाप्रयाण दिवस पर गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कही। इस दौरान डा. राममनोहर लोहिया के चित्र पर माल्र्यापण उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
श्री शर्मा ने बताया कि डाॅ राममनोहर लोहिया के विचार आज भी प्रसांगिक है। काँग्रेस मुक्त भारत की सोच डाक्टर राममनोहर लोहिया की थी। आज देश लगभग कांग्रेस मुक्त है पर लोहिया मुखपृष्ठ पर नहीं हैं। उनकी नीतियाँ और वैचारिक चिंतन अब गैर कांग्रेसी सरकारों से ओझल हो चुका है।
श्री शर्मा ने कहा कि लोहिया के व्यक्तित्व में एक गजब का साम्य रहा। वे एक ओर जहां गांधी के अतिप्रिय थे वहीं वे भगत सिंह के विचारों को जीते थे।
सपा के पूर्व प्रदेश सचिव वासिक रफीक वारसी ने कहा कि लोहिया जी का वैचारिक अतिवाद युवाओं में जोश फूंकता था। जिससे तत्कालीन सरकारें डोल जाती थी। उनके भाषण, लेख, नारे लोगों को आकर्षित करते थे। लोहिया के लेख आज भी उद्वेलित करते हैं।
वरिष्ठ सपा नेता हुमायूं नईम खान ने कहा कि आज देश की राजनीति को डॉ राममनोहर लोहिया के वैचारिक चिंतन की आवश्यकता है। लोहिया के विचार ही अंत्योदय से सर्वोदय तक समाज को लाभान्वित कर सकते है।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह, अशोक शुक्ला, मृत्युंजय शर्मा, नीरज दूबे, शिवा शर्मा, सत्यवान वर्मा, पी.के सिंह, रवि प्रताप सिंह, अनिल यादव, मनीष सिंह, सरदार राजा सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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