समाजवादी चिन्तक सगीर अहमद का हुआ निधन


बाराबंकी। आचार्य नरेंद्र देव से समाजवाद का कखहरा सीखने वाले समाजवादी चिन्तक सगीर अहमद ने आज जीवन को अलविदा कह दिया। उनका आज बरेली के निजी अस्पताल में सुबह निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। वह समाजवादी संत परम्परा के मूर्धन्य विभूति थे। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य थे। धर्मनिरपेक्ष राजनेता थे। सादगी पसंद इंसान थे।



उनका सम्पूर्ण जीवन समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे गरीबी, अशिक्षा, असमानता के खिलाफ लड़ते बीता। 
यह जानकारी गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने दी। श्री शर्मा ने बताया कि सगीर अहमद ने अपना पूरा जीवन समाजवादी मूल्यों और विचारधारा के प्रति सत्य निष्ठा संग निर्वहन करते व्यतीत किया। ईमानदारी उनका सबसे बड़ा आभूषण था।



सगीर अहमद भारत, पाकिस्तान और बंग्लादेश का महासंघ बनाओं मुहिम की पक्षधर थे। बाराबंकी से उनका बेहद गहरा रिश्ता था। गांधी जयन्ती के कार्यक्रम में उनकी विशेष रूचि रहती थी। सही मायने में वह स्व. चन्द्रशेखर जी के वैचारिक उत्तराधिकारी भी थे। उनका रहन-सहन, बोली-विचार, खाना-पान सब समाजवादी था। वे क्रिकेट और अंग्रेजी के सख्त विरोधी थे। सगीर साहब ने राजनीति को कभी अपनी निजी सम्पदा, अर्जन और विस्तार का साधन नहीं समझा। उन्होने इसे जनसेवा का माध्यम माना के कार्य किया। सगीर अहमद की ईमानदारी और कर्तव्य परायणता वर्तमान समय में सभी दलों के जनप्रतिनिधियों के लिए नजीर है और चिरकाल तक रहेगी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। 


टिप्पणियाँ