सीकर।
राजस्थान के सीकर-चूरु-झूंझुनू जिलो के साथ नागोर की डीडवाना तहसील को मिलाकर कहलाने वाले शेखावाटी जनपद के अधिकांश मुस्लिम युवा विभिन्न तरह के नशे के आदी व विभिन्न तरह के क्राईम के प्रति आकर्षित होने लगे है। जिसके कारण समुदाय की समाजिक व आर्थिक स्थिति को ग्रहण लगने के स्पस्ट संकेत मिलने लगे है। अगर यही हालात निरंतर जारी रहे तो अगले दस साल मे समुदाय के एक छोटे हिस्से को छोड़कर अधिकांश लोगो का जीवन दुखदाई नजर आने लगेगा। इन सब हालातो पर समुदाय के समाजी व धार्मिक लीडरशिप मोन धारण किये हुये है। तो राजनीतिक लीडरशिप से कैसी उम्मीद की जा सकती है। क्योंकि राजनीतिक लीडरशिप के चुनावी खर्चे का बडा हिस्सा भी नशे का सामान उपलब्ध कराने मे होता बताते है।
पहले शराब की दुकानें मुस्लिम बस्तियों से काफी दूर हुवा करती थी। लेकिन अब शराब दुकान संचालक ऐसी जगह का चयन करते है जो मुस्लिम बस्ती मे ना सही पर बस्ती से लगती हो, जहां पर मुस्लिम युवो का आना आसान रहे। ओर अब तो युवाओं की शर्म व शंकाओ का ताला भी खुल चुका है कि वो सरेराह मदहोश होने से परहेज़ नही करते है। शराब ही नही इसके अतिरिक्त अनेक अन्य तरह के नशे मे भी युवा लिप्त होते देखे जा रहे है। साथ ही युवा अब नशेड़ियों की गिनती बढाने मे ही शामिल होने तक सीमित नही रह रहा है। बल्कि नशे के कारोबार मे भी किसी ना किसी रुप मे शामिल होने लगा है। कम समय मे अधिक धन कमाने व ईजी मनी प्राप्ति की तरफ युवाओं का झुकाव तेजी से होता नजर आ रहा है।
मुस्लिम समुदाय के अधिकांश परिवारों मे आर्थिक प्रबंधन नाम का रिवाज कतई नही होने के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति कभी BPL से काफी निचे तो कभी BPL के सामान हालत बनते बिगड़ते रहते है। बहुत कम परिवार अपवाद के तौर पर मिलते है जो हर परिस्थितियों मे अपना आर्थिक प्रबंधन करके चलते है जो जीवन मे आने वाले उतार चढाव को पार लगा जाते है।
कुल मिलाकर यह है कि शेखावाटी के मुस्लिम समुदाय का युवा तबका अब नशे व क्राईम की तरफ तेजी के साथ आकर्षित होता जा रहा है। कम समय मे किसी भी तरह से धन कमाने की लालसा व भोतिक सूख सुविधाऐ भोगने की अभिलाषा की बढती प्रवृत्ति पर अगर रोक नही लगी तो युवाओं का एक वर्ग समाज व वतन के लिये सिरदर्द बन सकता है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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