जयपुर।
राजस्थान राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मे जब से भारतीय पुलिस सेवा के सीनियर अधिकारी दिनेश एमएन की तैनाती हुई है तब से राज्य के भ्रष्ट कार्मिक व उनके दलालो के ऐसीबी की गिरफ्त मे आने का सिलसिला जोर पकड़ने से आम जनता मे विभाग की उजली तसवीर सामने आने लगी है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मे दिनेश एमएन जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की तैनाती के बाद भ्रष्ट कार्मिक व उनके दलालो को गिरफ्त मे लेने के परवान चढते सिलसीले के साथ साथ भ्रष्ट पुलिस कर्मि व अधिकारियों को भी अपनी गिरफ्त मे लेने के होते सार्थक प्रयास के नतीजे सामने आने लगे है। नागोर जिले के खींवसर थाने से हाल ही मे हटा कर लाईन हाजिर किये गये थानेदार केशर सिंह नरुका SI को देर रात ऐसीबी टीम ने अजमेर अपनी निजी कार से जाते हुये आकस्मिक जांच मे 11-लाख से अधिक नकदी व शराब के कार्टूनो के साथ गिरफ्तार करके पुलिस विभाग मे खलबली मजा दी है।
पुलिस अधिकारी केशरसिंह नरुका की ही तरह पीछले हफ्ते श्रीगंगानगर जिले के रायसिंहनगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमृतलाल जीनगर को ऐसीबी ऐडीजी दिनेश एमएन के निर्देशानुसार सीकर ऐसीबी चौकी इंचार्ज उप अधीक्षक जाकीर अख्तर ने देर रात भारी कशमकश के बाद रिश्वत के मामले मे उनके घर से भारी विरोध के बावजूद गिरफ्तार किया था। जबकि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जीनगर को गिरफ्तार करते समय उनके कहने पर उनके गार्ड ने जाकीर अख्तर पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली भी चला दी थी। जिसमे अख्तर बाल बाल बच गये थे पर उन्होंने गिरफ्त मे आये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को भागने नही दिया था।
कुल मिलाकर यह है ऐसीबी ऐडीजी दिनेश एमएन की विभाग मे तैनाती के बाद एवं उनके द्वारा अपने मोबाईल नम्बर सोशल मीडिया पर जारी करके भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों की शिकायत आम आदमी को करने की छूट देने से आम जनता मे अच्छा संदेश जा रहा है। अनेक तरह के भ्रष्टाचारियों के साथ साथ भ्रस्टाचार के आरोप मे पुलिस अधिकारियों के गिरफ्त मे आने का सिलसिला जोर पकड़ने लगा है। केशर सिंह नरुक व अमृतलाल जीनगर का मामला मात्र उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। पर ऐसे मामले अक्सर सामने आ रहे है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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