राजस्थान मे गहलोत-पायलट खेमे मे बंटी कांग्रेस मे शह व मात का खेल गति पकड़ने लगा।


जयपुर।
             राजस्थान मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमे मे कांग्रेस विधायको के बंटने पर करीब एक महीने तक चली विधायको की बाड़ेबंदी के बाद हाईकमान की पहल पर पायलट खेमे की कांग्रेस मे ससम्मान वापसी के बाद जब सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायको के बाड़ेबंदी से आजाद होकर अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र मे जाने पर भारी भीड़ का जमावड़ा हो रहा है वही गहलोत समर्थक विधायक अपने क्षेत्र मे चुपके से जाकर आ रहे है। गहलोत समर्थक कुछेक विधायको के पहले से कहकर अपने क्षेत्र मे जाने पर उनके कार्यक्रमों से भीड़ व कांग्रेस नेताओं ने दूरी बनाकर रखना ही उचित समझा। भीड़ व नेताओं की दूरी से उनके कार्यक्रम काफी फीके साबित हो रहे है।
              मुख्यमंत्री गहलोत खेमे के विधायक चुपचाप अपने क्षेत्र मे जा रहे है। गहलोत खेमे के शिक्षा मंत्री व नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बाकायदा प्रैस रिलीज जारी करके अध्यक्ष बनने के बाद पहली दफा अपने ग्रह क्षेत्र सीकर गये तो उनके अलावा कांग्रेस के अन्य छ विधायको मे से पांच विधायको के अतिरिक्त लोकसभा उम्मीदवार ने उनके उक्त कार्यक्रम से पूरी तरह दूरी बना कर कांग्रेस नेताओं की आपसी खाई को ओर अधिक गहरी कर दिया है। डोटासरा के उक्त कार्यक्रम मे भीड़ भी अनुमान से काफी कम मुश्किल से जूट पाने से उनके दौरे का फीका रहने की चारो तरफ आम चर्चा बना हुवा है।। जबकि इसके विपरीत सचिन पायलट सहित विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा व मुकेश भाखर के जयपुर से उनके निर्वाचन क्षेत्र तक गाडियों का भारी काफला साथ चला एवं निर्वाचन क्षेत्र मे काफी भीड़ स्वागत मे जमा होने से लगा कि जनसमर्थन अभी उक्त खेमे के पास ही है। इसके अतिरिक्त गहलोत खेमे के विधायक जोगेंद्र अवाना के अपने निर्वाचन क्षेत्र नदबई जाने पर कार्यक्रम मे उपस्थित लोगो ने सचिन पायलट जिंदाबाद के नारो से आसमान गुंजाये रखा।
             कुल मिलाकर यह है कि हाईकमान ने पायलट की वापसी करके केसी वेणुगोपाल को जयपुर भेज कर गहलोत-पायलट के हाथ मिलाकर अखबारों मे फोटो प्रकाशित करवाने के बाद दोनो का दिल से मिलन होना जरूर मान लिया हो। पर ढेड महिले पहले दोनो नेताओं के मध्य खींची राजनीतिक खाई अब ऊपर से निचे तक गहरी होती नजर आ रही है। दोनो धड़ो मे शह व मात का खेल अब गति पकड़ता साफ नजर आ रहा है। विधायको मे चाहे गहलोत की पकड़ पायलट के मुकाबले काफी मजबूत हो लेकिन इसके विपरीत जनता मे गहलोत के मुकाबले पायलट की पकड़ काब काफी मजबूत होना देखी जा रही है। जनता को प्रभावित करने व भाषण से जनता का जेहन बदलकर बाजी पलटने मे गहलोत काफी फिसड्डी माने जाते है। जबकि जनता के मिजाज को समझकर भाषण कला से जनता को प्रभावित कर हारी हुई बाजी को जीत मे बदलने मे पायलट के मुकाबले गहलोत कही पर भी ठहरते नही पाते है।


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